बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय (Baba Ramdev Ji Biography in Hindi): हमारे देश में अनेक देवता हैं, जिनकी शक्तियाँ अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती हैं। इन देवताओं से सच्चे मन से प्रार्थना करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके साथ ही, कुछ प्रसिद्ध लोक देवता भी हैं, जिनकी शक्ति आज भी महसूस की जाती है, भले ही वे अब भौतिक रूप से उपस्थित न हों। ऐसे ही एक प्रभावशाली लोक देवता पश्चिमी राजस्थान के बाबा रामदेव जी हैं।
बाबा रामदेव जी की विशेषता यह है कि उनकी पूजा न केवल हिंदू समुदाय द्वारा की जाती है, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी उन्हें मानता है। मुसलमान उन्हें रामसा पीर के नाम से पूजते हैं, जबकि हिंदू उन्हें बाबा रामदेव के रूप में मान्यता देते हैं। बाबा रामदेव जी ने बचपन से ही चमत्कारिक कार्य किए, जिससे उनके भक्तों की संख्या देश और विदेश में बढ़ती चली गई। उनकी महिमा का प्रमाण उनकी मेला भी है, जहां भीड़ इतनी होती है कि पैर रखने की जगह नहीं मिलती है।
बाबा रामदेव जी Baba Ramdev Ji Biography in Hindi की जीवन यात्रा और उनके चमत्कारिक कार्यों की गहराई से जानकारी प्राप्त करने के लिए यह लेख उनकी जीवनी पर प्रकाश डालता है। उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके चमत्कारिक कार्य उनकी महानता को प्रमाणित करते हैं। यह लेख आपको बाबा रामदेव जी की आत्मकथा और उनके अद्वितीय योगदान की जानकारी प्रदान करेगा, जो उनके भक्तों की श्रद्धा और विश्वास को उजागर करता है।
Overview Of Baba Ramdev Ji Bio in Hindi
पूरा नाम | बाबा रामदेव |
अन्य नाम | रामसा पीर, रामाधनी |
जन्म | 1409 |
समाधि स्थल | रामदेवरा |
जन्म स्थान | राजस्थान |
विवाह | नैतलदे के साथ विक्रम संवत् 1426 |
देवता का प्रकार | लोक देवता |
जाति | तंवर राजपूत |
धर्म | हिंदू |
घोड़े का नाम | लीलो |
मेले की जगह | रामदेवरा |
रामदेव जी का जन्म (Birth Of Baba Ramdev Ji)
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हिंदुओं के शक्तिशाली लोक देवता बाबा रामदेव जी का मुख्य स्थान राजस्थान में मौजूद है। इनके जन्म के बारे में बात करें तो इनका जन्म भाद्रपद के शुक्ला दूज को विक्रम संवत 1409 में हुआ था। राजस्थान में बाड़मेर जिले के ऊँडूकासमेर गांव के एक परिवार में यह पैदा हुए थे।इनके पिताजी का नाम अजमल जी तंवर और माता का नाम मैणादे था। थोड़ा बड़ा होने के पश्चात इन्होंने मल्लिनाथ जी को अपना गुरु स्वीकार किया। बचपन से ही बाबा रामदेव के पास अद्भुत शक्तियां मौजूद थी जिससे उन्होंने भैरव नाम के एक ऐसे राक्षस का खात्मा किया, जिसकी वजह से क्षेत्र के लोग काफी ज्यादा परेशान रहते थे। रामदेव बाबा जी को नीला घोड़ा काफी ज्यादा पसंद है।
बाबा रामदेव जी के परिवार (Baba Ramdev ji Ke Family)
पिता | अजमाल जी तंवर |
माता | मैणादे |
भाई | वीरभद्र |
बहन | लासा व सुगना |
पत्नी | नेतलदे |
बाबा रामदेव जी का विवाह (Peer Ramsa Vivah)
इन्होंने नेतलदे/ निहालदे नाम की कन्या के साथ विवाह किया था, जो की वर्तमान में पाकिस्तान के अमरकोट रियासत के महाराजा दलसिंह की बेटी थी। उनकी पत्नी दिव्यांग पैदा हुई थी, परंतु बाबा रामदेव को इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने दिव्यांगता के साथ ही अपनी पत्नी को स्वीकार किया और उनके साथ धूमधाम के साथ विवाह किया। ऐसा कहा जाता है कि जब दोनों के विवाह के सात फेरे लग रहे थे तो लोगों ने कन्या के लिए बैसाखी लाई पर उन्होंने कहा कि बैसाखी की कोई भी आवश्यकता नहीं है और उसके बाद बाबा रामदेव ने हाथ पकड़ कर अपनी पत्नी के साथ-साथ फेरे पूरे किए और उसके बाद उनकी पत्नी चलने लगी।
मुस्लिम भी करते हैं पूजा (Muslims Also Worship)
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बाबा रामदेव को मुस्लिम समाज रामदेव पीर के नाम से पूजता है, जिसके पीछे एक रोचक कहानी है। कहानी के अनुसार एक बार पांच पीर बाबा जी के घर पर भोजन ग्रहण करने के लिए आए और वह एक साफ आसन पर जमीन पर बैठ गए, तभी उन्होंने बाबा की परीक्षा लेने के लिए कहा कि उनके कटोरा मक्का में छूट गए हैं।
यह बात सुनने के बाद बाबा रामदेव जी ने कहा कि कोई बात नहीं मैं अभी आपके कटोरा मंगा देता हूं और इसके बाद पीर देखते हैं कि उनके कटोेरे उनके सामने रखे हुए हैं। इस बात से वह काफी ज्यादा खुश होते हैं और बाबा रामदेव जी से कहते हैं कि आज से हम पांचो पीर तुम्हारे साथ रहेंगे। इस प्रकार से मुस्लिम समाज बाबा रामदेव को रामदेव पीर या रामसा पीर के नाम से पूजता है।
धूमधाम से मनाते हैं रामदेव जयंती (Celebrate Ramdev Jayanti)
बाबा रामदेव जी के भक्त देश में कई जगहों पर फैले हुए हैं। इनके द्वारा रामदेव जयंती को धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इनकी जयंती भाद्र शुक्ल द्वितीया को आती है। इस मौके पर रामदेवरा के मंदिर में भादवा सुदी बीज से एकादशी तक एक इंटरनेशनल मेले का आयोजन भी होता है, जिसे भादवा का मेला कहा जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए देश से कई हिंदू और मुस्लिम लोग आते हैं और बाबा की समाधि पर उन्हें प्रणाम करते हैं।
खूंखार राक्षस का किया खात्मा (Destroyed The Dreaded Monster)
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जंगल में बालीनाथ ऋषि का आश्रम था। यहीं पर एक दिन खेलते खेलते बाबा रामदेव जी पहुंचे, तब ऋषि ने बताया कि यहां पर भैरव नाम का एक राक्षस है जो बुरे कर्म करता है और साधु संन्यासियों को परेशान करता है। इस पर बाबा रामदेव जी काफी ज्यादा क्रोधित हुए और उन्होंने इस राक्षस को खत्म करने का फैसला किया और फिर वह डायरेक्ट भैरव राक्षस के साथ लड़ने के लिए चले गए।
भैरव राक्षस ने जब बाबा रामदेव जी को मारने का प्रयास किया तो बाबा रामदेव जी ने अपनी शक्तियों के माध्यम से राक्षस को ही खत्म कर डाला और इस प्रकार से साधु संन्यासियों को राक्षस के आतंक से मुक्ति मिल गई। बता दे की बाबा रामदेव जी के जो 13 मुख्य चमत्कार है उन्हें आज भी जागरण में भजन के तौर पर गया जाता है। उनके चमत्कारों को मारवाड़ी लैंग्वेज में पर्चा कहा जाता है।
बाबा रामदेव जी का अवतार मेला (Baba RamdevJi ka Avatar Mela)
राजस्थान में रामदेवरा नाम की एक जगह मौजूद है। यह एक गांव का नाम है। इसी गांव में बाबा रामदेव जी का बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में लोग शामिल होने के लिए आते हैं। सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके से जैसे कि मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात और यूपी के भी कई लोग इस मेले में आते हैं। यहां पर मेला बाबा रामदेव जी के जन्मदिन के मौके पर लगाया जाता है।
मेले में कई जगह पर निशुल्क भंडारे का आयोजन भी किया जाता है जहां पर कोई भी व्यक्ति बिना पैसा दिए हुए पौष्टिक भोजन ग्रहण कर सकता है। भंडारे में पूरी सब्जी के अलावा बूंदी भी दी जाती है जो की एक स्वादिष्ट मिठाई होती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति बाबा के इस मेले में शामिल होता है उसकी जिंदगी के सभी कष्ट धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और यदि कोई व्यक्ति मनोकामना लेकर मेले में शामिल होता है और बाबा का दर्शन करता है तो उसकी सभी कामना पूर्ण होती है।
बाबा रामदेव जी की समाधि (Baba Ramdev Samadhi Rajasthan)
रामदेव बाबा जी की उम्र यही कोई 33 साल रही होगी जब इन्होंने यह डिसीजन लिया कि यह समाधि ले लेंगे। समाधि लेने से पहले बाबा रामदेव ने सभी लोगों को यह सूचित कर दिया था कि आखिर वह कौन सी जगह पर समाधि लेंगे अर्थात उनकी समाधि का स्थल कौन सा होगा, ताकि वहां पर समाधि को आसानी से बनाया जा सके।
बाबा रामदेव जी के समाधि लेने की बात जब रामदेव जी की बहन डाली बाई को मिलती है तो वह भी रामदेव जी बाबा के साथ समाधि लेने के लिए वहां पहुंच जाती है और बाबा रामदेव जी के समाधि लेने से पहले ही वह समाधि ले लेती है। यही कारण है कि जहां पर वर्तमान में बाबा रामदेव जी की समाधि मौजूद है वहीं पर उनकी बहन डाली बाई की समाधि भी मौजूद है। समाधि लेने से पहले बाबा ने अपने भक्तों से कहा था कि वह सदैव इसी जगह पर निवास करेंगे और यही से जन कल्याण का काम करेंगे।
Conclusion:–Baba Ramdev Ji Biography in Hindi
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FAQ:–Baba Ramdev Ji Biography in Hindi
Q.1 बाबा रामदेव जी कौन थे?
Ans. बाबा रामदेव जी एक प्रसिद्ध संत और लोक देवता थे, जिनका जन्म 15वीं शताब्दी में राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुआ था। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। बाबा रामदेव जी ने समाज में समता, समानता और एकता की भावना को प्रोत्साहित किया। उन्होंने विशेष रूप से समाज के वंचित और गरीब वर्गों की सेवा की।
Q.2 बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans. बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 1409 (सन 1352) को राजस्थान के पोकरण के पास रामदेवरा (रुणिचा) में राजा अजमल जी के घर हुआ था। उनका जन्म जाट समुदाय में हुआ था और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
Q.3 बाबा रामदेव जी की शिक्षाएं क्या थीं?
Ans. बाबा रामदेव जी ने समता, भाईचारे, और मानवता की शिक्षाएं दीं। उन्होंने जाति, धर्म, और समाज में भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और समानता का संदेश फैलाया। वे साधारण जीवन और सेवा को महत्व देते थे और उन्होंने समाज के दबे-कुचले वर्गों की भलाई के लिए कार्य किए।
Q.4 बाबा रामदेव जी का विवाह किससे हुआ था?
Ans. बाबा रामदेव जी का विवाह अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान के थारपारकर जिले) के राजा केशर सिंह की पुत्री नेतल देवी से हुआ था। हालांकि, बाबा रामदेव जी ने अपनी शादी के बाद भी अपने जीवन को समाज सेवा और मानवता के लिए समर्पित रखा।
Q.5 बाबा रामदेव जी का समाधि स्थल कहां है?
Ans. बाबा रामदेव जी का समाधि स्थल राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित रामदेवरा (रुणिचा) में है। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां हर साल लाखों भक्त बाबा रामदेव जी की समाधि पर दर्शन करने आते हैं।
Q.6 बाबा रामदेव जी की पूजा कैसे की जाती है?
Ans. बाबा रामदेव जी की पूजा में भक्ति, समर्पण, और सेवा का विशेष महत्व है। भक्त उनके मंदिर में पुष्प, नारियल, धूप, और दीपक अर्पित करते हैं। भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को बाबा रामदेव जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे “बाबा रामदेव मेला” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं।
Q.7 बाबा रामदेव जी के प्रमुख मंदिर कहां-कहां हैं?
Ans. बाबा रामदेव जी के प्रमुख मंदिर राजस्थान के रामदेवरा (रुणिचा), अहमदाबाद (गुजरात), मऊ (उत्तर प्रदेश), और दिल्ली सहित कई स्थानों पर स्थित हैं। रामदेवरा मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, जहां हर साल भव्य मेला आयोजित किया जाता है।
Q.8 बाबा रामदेव जी के अनुयायी कौन हैं?
Ans. बाबा रामदेव जी के अनुयायी विभिन्न धर्मों, जातियों, और समुदायों से आते हैं। वे विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में पूजे जाते हैं। उनके भक्त उन्हें “रामापीर” के नाम से भी पुकारते हैं और उनकी शिक्षाओं पर चलने का प्रयास करते हैं।
Q.9 बाबा रामदेव जी की वाणी और लोकगीत क्या हैं?
Ans. बाबा रामदेव जी की वाणी और लोकगीत उनकी शिक्षाओं, चमत्कारों और भक्ति को प्रदर्शित करते हैं। ये गीत राजस्थान, गुजरात, और अन्य राज्यों में बड़े प्रेम से गाए जाते हैं। इनमें “रामदेव जी की फड़” और “रामदेव जी के भजन” अत्यधिक लोकप्रिय हैं।