Mahashivratri 2024: महा शिवरात्रि मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार है जो हर साल भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन शिव के विवाह दिवस का प्रतीक है । यह दिन सर्दियों के ठीक अंत में (फरवरी के अंत में या मार्च की शुरुआत में) या गर्मियों के आगमन से ठीक पहले पड़ता है।हिंदुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार, इस दिन किसी के जीवन में अंधकार और अज्ञानता को दूर करने के लिए प्रार्थना की जाती है। 2024 में यह शुभ अवसर 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा । महा शिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो भगवान शिव का सम्मान करता है। इसे ‘ शिव की रात ‘ भी कहा जाता है और यह अधिकांश भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के त्यौहार के दिन यदि आप सच्चे मन से भगवान शंकर की पूजा करते हैं तो आपकी मनोकामना की पूर्ति जरूर होगी इसलिए आज के आर्टिकल में Mahashivratri 2024 से जुड़ी सभी जानकारी जैसे- Maha Shivratri in Hindi ) Maha Shivratri Kab Hai) what is Maha Shivaratri ) why do we Celebrate Mahashivratri | importance of Mahashivratri ) Maha Shivratri History) Maha Shivaratri Story) importance of Mahashivratri ) जैसे चीजों के बारे में आपको आसान भाषा में विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाएंगे इसलिए आप हमारा आर्टिकल ध्यानपूर्वक आखिर तक पढ़िएगा लिए आईए जानते हैं:-
Maha Shivratri 2024 -Overview
आर्टिकल का प्रकार | महत्वपूर्ण दिन |
आर्टिकल का नाम | Mahashivratri 2024 |
साल कौन सा है | 2024 |
कब मनाया जाएगा पर्व | 8 March |
कहां मनाया जाएगा | पूरे भारतवर्ष में |
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महा शिवरात्रि हिंदी में (Maha Shivratri in Hindi)
2024 में शिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च को पूरे भारत में उमंग के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोग भगवान शंकर की पूजा विधि विधान के साथ करेंगे ताकि उनकी विशेष कृपा उन्हें प्राप्त हो सके। महाशिवरात्रि के त्यौहार के दिन कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर की पूजा करती है ताकि उन्हें भी भगवान शंकर के जैसा वर प्राप्त हो सके इसके अलावा कोई भी शादीशुदा जोड़ा अगर भगवान शंकर की पूजा महाशिवरात्रि का द्वारा करता है तो उनके संबंध मजबूत और मधुर बनते हैं और दंपति जीवन में कोई समस्या है तो उसका भी निवारण हो जाता हैं।
महा शिवरात्रि कब है? (Maha Shivratri Kab Hai)
महाशिवरात्रि 2024 में 8 मार्च को पूरे भारतवर्ष में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का पर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन माता पार्वती या भगवान शंकर का विवाह हुआ था इसलिए माता और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। 2024 में महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त की शुरुआत 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर पूजा का समापन होगा इस दौरान ही आपको महाशिवरात्रि पूजा करनी होगी तभी जाकर आपकी पूजा सफल मानी जाएगी
महा शिवरात्रि क्या है? (what is Maha Shivaratri)
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक पवित्र परम है इस दिन सभी लोग भगवान शंकर की पूजा आराधना सच्चे भाव से करते हैं ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उसके उपरांत थी महाशिवरात्रि मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई धार्मिक शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि अगर कोई भी कुंवारी कन्या भगवान शंकर की पूजा महाशिवरात्रि के दिन करती है तो उसे योग्य पति की प्राप्ति होगी इसके कोई भी शादीशुदा जोड़ा जिसके दंपति जीवन में समस्याएं हैं। अगर वह महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की आराधना सच्चे दिल और विधि विधान के साथ करेगा तो उसके दंपति जीवन में जो भी समस्या है इसका समापन होगा रिश्तो में मिठास और मधुरता आएगी |
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महा शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ( Why do we Celebrate Mahashivratri)
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसके संबंध में कई प्रकार की कहानी और कथाएं प्रचलित हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं-
- एक यह कि इस दिन भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया था। तो, यह इस पवित्र मिलन का उत्सव है।
- दूसरी बात यह है कि जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र की गहराई में छिपे अमृत को प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया, तो जहर का एक बर्तन निकला। भगवान शिव ने देवताओं और मानव जाति दोनों को बचाते हुए इस जहर को पी लिया। जहर भगवान के गले में रह गया, जिससे उनका रंग नीला पड़ गया। जगत के उद्धारकर्ता के सम्मान में शिवरात्रि मनाई जाती है।
- एक और किंवदंती यह है कि जैसे ही देवी गंगा पूरी ताकत के साथ स्वर्ग से उतरीं, भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में पकड़ लिया और कई धाराओं के रूप में पृथ्वी पर छोड़ दिया। इससे पृथ्वी पर विनाश रुक गया। उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में, इस शुभ रात को शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।
- साथ ही यह भी माना जाता है कि निराकार भगवान सदाशिव आधी रात को लिंगोद्भव मूर्ति के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए, लोग पूरी रात जागते हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व (importance of Mahashivratri )
महाशिवरात्रि का त्यौहार बहुत ही उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है, और इस त्यौहार के बाद लोक नृत्य, प्रार्थना, मंत्र, मंत्र, संगीत आदि का आयोजन किया जाता है। हालांकि, जो लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, वे अक्सर इसके महत्व के बारे में सोचते हैं। इस त्योहार के बारे में और यह वास्तव में कैसे मनाया जाता है, और भगवान शिव के भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए किन रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं। लोग महाशिवरात्रि के दिन पूरे दिन उपवास करते हैं और पूरी रात जागकर अपने भगवान शिव से समृद्धि, खुशी, आशा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं, आखिरकार, यह हिंदुओं के बीच सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जो भक्त व्रत रखते हैं और भोजन और पानी के सेवन से परहेज करते हैं, जो शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक भी साबित होता है। यह लोकप्रिय मान्यता है कि उपवास के बाद भगवान शिव से प्रार्थना करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त अपने भगवान को संतुष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।कुछ लोग स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं, कुछ धन के लिए प्रार्थना करते हैं, कुछ कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं, जबकि कुछ इस आशा में क्षमा मांगते हैं कि उनका भगवान उनकी पुकार सुन रहा है और निश्चित रूप से वह उन्हें उनके दर्द से राहत देगा। भक्त ओम नमः शिवाय का जाप करते हैं, जो समृद्धि और खुशी लाता है और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करता है।
महा शिवरात्रि इतिहास (maha shivratri history)
हुआ है। हालाँकि, यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का जश्न मनाता है। इस त्यौहार से जुड़ी कई किंवदंतियाँ हैं, जो सभी भगवान शिव और देवी पार्वती की दिव्य प्रेम कहानी का जश्न मनाती हैं। एक पौराणिक कथा बताती है कि कैसे देवी पार्वती ने भगवान शिव का दिल जीतने के लिए कई वर्षों तक तपस्या की। जब भगवान शिव अंततः उससे विवाह करने के लिए सहमत हुए, तो उसने एक भव्य उत्सव मनाया। शादी में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया और सभी ने खूब आनंद उठाया। एक अन्य किंवदंती बताती है कि महा शिवरात्रि का नाम कैसे पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने राक्षसों के साथ युद्ध के दौरान विष का सागर पी लिया था। उनकी रक्षा के लिए, देवी पार्वती ने जहर खत्म होने तक घंटों तक उनकी सांसें रोके रखीं। इसके बाद भगवान शंकर पार्वती जी से बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए भगवान शिव पार्वती जी के प्रति इतने आभारी थे कि उन्होंने घोषणा की कि उनके सम्मान में हर साल महा शिवरात्रि मनाई जाएगी। महा शिवरात्रि एक त्योहार है जो भगवान शिव और देवी पार्वती की दिव्य प्रेम कहानी का जश्न मनाता है।
महा शिवरात्रि कथा (Maha Shivaratri Story)
महाशिवरात्रि संबंधित कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं-
शिव और शक्ति का विवाह
ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह के अवसर पर महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता हैं। आप सभी लोगों को मालूम है कि भगवान शंकर की पहली पत्नी सतीश से भगवान शंकर बहुत ज्यादा प्रेम करते थे उनके देहांत के बाद भगवान शंकर बैरागी हो गए जिसके कारण सृष्टि का संचालन करना काफी मुश्किल हो रहा था ऐसे में माता शक्ति पार्वती देवी के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुई थी इसके बाद उन्होंने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घर तपस्या की उनके तपस्या से खुश होकर भगवान शंकर ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया इसके उपरांत भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हुआ। इस दिन अविवाहित महिलाएं शिव जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं, जिन्हें आदर्श पति माना जाता है।
समुद्र मंथन
आपमें से अधिकांश लोग असुरों और देवताओं के बीच हुए महान समुद्र मंथन की कहानी से अवगत होंगे। इस लड़ाई ने निश्चित रूप से अमर अमृत का उत्पादन किया था, लेकिन इसके साथ-साथ इसने अब तक का सबसे जहरीला जहर भी पैदा किया था जिसे हला हला के नाम से जाना जाता है। विष में ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव ही इसे पीकर नष्ट कर सकते थे। जहर इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव अत्यधिक दर्द से पीड़ित थे और उनका गला भी नीला हो गया था। इसी कारण से भगवान शिव ‘नीलकंठ’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। उपचार के एक भाग के रूप में, डॉक्टरों ने देवताओं को रात के दौरान भगवान शिव को जागते रहने की सलाह दी। इस प्रकार, देवताओं ने भगवान शिव का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण किया। शिव को प्रसन्न करने और उन्हें जागृत रखने के लिए, देवताओं ने बारी-बारी से विभिन्न नृत्य किए और संगीत बजाया। जैसे ही दिन निकला, भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन सभी को आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि उस घटना का उत्सव है जिसके द्वारा शिव ने दुनिया को बचाया। तब से, इस दिन और रात को भक्त उपवास करते हैं, जागरण करते हैं, भगवान की महिमा गाते हैं और पूरी रात ध्यान करते हैं।
महा शिवरात्रि उत्सव (Maha Shivaratri Festival Celebration
महाशिवरात्रि का उत्सव भारत में काफी उमंग और धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन देश के विभिन्न शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि संबंधित धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं जहां पर सभी भक्तगण भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर के मंदिर में आकर पूजा आराधना करती है ताकि उन्हें योग्य पति प्राप्ति हो धार्मिक शास्त्रों में इस बात की मान्यता है कि यदि कोई भी पति-पत्नी भगवान शंकर की पूजा महाशिवरात्रि के दिन करता है तो उनके दंपति जीवन में खुशियां और समृद्धि आती हैं। शिवरात्रि के दिन भारत के कई धार्मिक स्थल जहां पर भगवान शंकर का मंदिर है वहां पर भव्य और विशाल अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है जहां पर लाखों की संख्या में भक्तगढ़ सम्मिलित होकर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इसलिए आप भी अपने परिवार के साथ महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाने के लिए भगवान शंकर की नगरी काशी जा सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर क्या करें? ( What to do on Maha Shivratri )
- उपवास रखें
- ध्यान करें
- पवित्र मंत्रों का जाप करें
- रुद्र पूजा करें
- शिव लिंग की पूजा करें
- भगवान को प्रसाद दें
महा शिवरात्रि पर क्या ना करें? ( What Not to Do on Maha Shivratri )
- काले कपड़ों से बचें
- लहसुन और प्याज का सेवन न करें
- रात में न सोएं
- शिवलिंग पर कुमकुम न चढ़ाएं
- टूटे हुए अक्षत
- केतकी के फूल ना चढ़ाएं
- टूटे हुए बलेपत्र भगवान शंकर को समर्पित ना करें
- मांस मछली का सेवन न करें
महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha)
सुन्दर सेन नाम का एक राजा था। एक बार वह अपने कुत्तों के साथ जंगल में शिकार करने गया। भूख-प्यास से पीड़ित होकर पूरे दिन परिश्रम करने के बाद जब उसे कोई जानवर नहीं मिला तो वह रात्रि विश्राम के लिए तालाब के किनारे मौजूद एक पेड़ पर चढ़ गया। बेल वृक्ष के नीचे बिल्वपत्रों से ढका हुआ शिवलिंग था। इसी बीच कुछ टहनियाँ तोड़ने के क्रम में संयोगवश उनमें से कुछ टहनियाँ शिवलिंग पर गिर गईं। इस तरह शिकारी का व्रत भी हो गया और उसने संयोगवश शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ा दिए।रात्रि के कुछ घंटे बीतने पर एक हिरण वहां आया। शिकारी ने उन्हें मारने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाया तो कुछ बिल्वपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार प्रथम प्रहर की पूजा भी अनजाने में ही हो गयी। हिरण भी जंगली झाड़ियों में गायब हो गया। उसके कुछ ही देर बाद एक और हिरण निकला।
शिकारी ने उसे देखकर पुनः धनुष पर बाण चढ़ाया। इस बार भी रात्रि के दूसरे पहर में बिल्वपत्र के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे और शिवलिंग की पूजा हो गई। हिरण भाग गया इसके बाद उसी परिवार का एक हिरण वहां आया, इस बार भी वैसा ही हुआ और तीसरे पहर में शिवलिंग की पूजा हुई. वह हिरण भी भाग निकला.अब चौथी बार हिरण अपने झुण्ड के साथ वहाँ पानी पीने आया। सभी को एक साथ देखकर शिकारी बहुत प्रसन्न हुआ और उसने दोबारा धनुष पर बाण चढ़ाया तो कुछ बिल्वपत्र शिवलिंग पर गिर गए जिससे चौथे वार में फिर से शिवलिंग की पूजा होने लगी।
महाशिवरात्रि व्रत कथा PDF (Mahashivratri Vrat Katha PDF)
महाशिवरात्रि व्रत कथा आप पीडीएफ के रूप में प्राप्त करना चाहते हैं तो आर्टिकल में हम उसका पीडीएफ आपको उपलब्ध करवाएंगे जिससे आप डाउनलोड कर सकते हैं ताकि आप भी महाशिवरात्रि का व्रत विधि विधान के साथ पूरा कर सके।
महा शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है (How is Maha Shivaratri Celebrated )
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है इसके अलावा अधिकांश लोग महाशिवरात्रि का दिन प्रार्थना, ध्यान और आनंद में बिताते हैं। भगवान शिव के अनुयायी आज भी शिवरात्रि की पारंपरिक पूजा सावधानीपूर्वक और समर्पित भाव से करते हैं। वे दिन-रात उपवास रखते हैं और शिव लिंग को दूध, शहद, पानी और अन्य पवित्र पदार्थों से स्नान कराते हैं। शिवरात्रि पर, हिंदुओं का मानना है कि भक्ति और ईमानदारी से भगवान शिव की पूजा करने से पिछले पापों का प्रायश्चित किया जा सकता हैं। महाशिवरात्रि का त्यौहार भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। कई शिव और पार्वती मंदिर इस भव्य त्योहार को कई तरीकों से मनाते हैं। हजारों तीर्थयात्री देश के विभिन्न मंदिरों में जाते हैं।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में
FAQ’s: Maha Shivratri Kab Hai 2024
Q. 2024 में महाशिवरात्रि कब मनाया जाएगा?
भगवान शिव की शक्तियों का सम्मान करने और मां पार्वती के साथ उनके मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल महाशिवरात्रि 2024 8 मार्च को मनाया जाएगा।
Q. महाशिवरात्रि से जुड़े रीति-रिवाज और अनुष्ठान क्या हैं?
Ans. महाशिवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाज और अनुष्ठान हैं जिनमें भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए पूरी रात भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं। भक्त पूरी रात जागरण में भाग लेते हैं और हिंदू मंदिरों में जाते हैं और दूध, फूल, शहद, धूप, फल आदि सहित कई प्रसाद चढ़ाते हैं।
Q. महा शिवरात्रि मनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्थान कहाँ हैं?
› महाशिवरात्रि का त्यौहार आप कहां मना सकते हैं उससे संबंधित कुछ आवश्यक धार्मिक स्थलों का विवरण हम आपको दे रहे हैं उदाहरण के लिए आप हरिद्वार में नीलकंठ महादेव, हिमाचल में भूतनाथ मंदिर, असम के गुवाहाटी में उमानंद मंदिर, वाराणसी में तिलभांडेश्वर मंदिर, ओडिशा में लोकनाथ मंदिर, गुजरात में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और कई अन्य स्थान जहां आप महाशिवरात्रि मना सकते हैं।
Q. महाशिवरात्रि का अर्थ क्या है?
Ans.महाशिवरात्रि का अर्थ है – भगवान महादेव अर्थात प्रभु शिव की रात्रि।
Q महाशिवरात्रि की महिमा क्या है?
Ans.महाशिवरात्रि के अवसर पर व्रत रखने वाले साधकों को भगवान शिव के आशीर्वाद और मोक्ष की प्राप्ति होती है।