Gangaur Puja 2024: राज्य कि संस्कृति उसके रीति-रिवाजों, वेशभूषा और त्योहारों में दिखाई देती है। भारत के हर राज्य में संस्कृति और त्योहार मनाने की परंपरा भी अलग-अलग है ऐसे में राजस्थान भारत का एक महत्वपूर्ण मारवाड़ी राज्य है और यहां पर रहने वाली महिलाएं गणगौर का त्यौहार उमंग और विधि विधान के साथ मानती हैं। इस त्यौहार को केवल राजस्थान ही नहीं’ बल्कि हर राज्य में रहने वाले मारवाड़ी महिला इस त्यौहार को उमंग के मानती हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में ऐसे मनाने की परंपरा भी अलग हैं। भारत के मध्य प्रदेश में रहने वाले निमाड़ी लोग भी इसे मारवाड़ियों की इस त्यौहार को मानते हैं। हालांकि पूजा की जो प्रक्रिया हैं। उनमें काफी अंतर हैं। मारवाड़ी लोग सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा करते हैं लेकिन निमाड़ी लोग 3 दिन तक की इस पूजा को मनाते हैं। उसके बाद पूजा का समापन हो जाता है यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस त्यौहार को मनाने से उनके पति की उम्र लंबी होगी और उन्हें माता पार्वती और शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
कुंवारी लड़कियां गणगौर त्यौहार मनाती हैं तो ‘उन्हें भगवान शंकर के जैसा पति की प्राप्ति होगी। ऐसे में अगर आपके मन में भी सवाल आता है की गणगौर का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? इसका महत्व क्या है’ तो आज के लेख में Gangaur Puja 2024 से जुड़ी सभी जानकारी जैसे- क्या होती है गणगौर पूजा (What is Gangaur Puja) गणगौर, पूजा का महत्व (Gangaur Puja Vidhi Significance) गणगौर पूजा के लाभ (Gangaur Puja Vidhi benefits) गणगौर की कहानी (Gangaur ki kahani) गणगौर पूजा सामग्री (Gangaur Puja Samagri) गणगौर पूजा सामग्री लिस्ट PDF (Gangaur Puja Samagri list PDF) गणगौर पूजा के बारे में डिटेल जानकारी आपको प्रदान करेंगे आप हमारे साथ लेख पर बने रहिएगा:-
गणगौर त्योहार (Gangaur Puja) – Overview
आर्टिकल का प्रकार | महत्वपूर्ण त्यौहार |
आर्टिकल का नाम | गणगौर त्योहार |
आर्टिकल की भाषा | हिंदी |
कब मनाया जाएगा | 11 अप्रैल को |
किस धर्म के लोग मानते हैं | हिंदू धर्म के |
किस राज्य का प्रमुख त्यौहार है | राजस्थान का |
क्यों मनाया जाता है | पति की लंबी उम्र के लिए |
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क्या होती है गणगौर पूजा (What is Gangaur Puja)
गणगौर पूजा विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भी विवाहित स्त्री गणगौर पूजा करती है तो उसे माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होगा क्योंकि इसी दिन माता पार्वती को सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था तभी से गणगौर पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई गणगौर पूजा के दौरान स्त्रियां उपवास का पालन करती हैं इस दौरान हुआ माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना भी करती हैं।
गणगौर पूजा समय | वार | डेट |
तृतीया तिथि शुरू : 17:30 – 10 अप्रैल 2024 तृतीया तिथि ख़त्म : 15:00 – 11 अप्रैल 2024 | गुरूवार | 11 अप्रैल 2024 |
गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Puja Vidhi Significance)
गणगौर शब्द गण और गौर दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जहां पर ‘गण’ का अर्थ शिव और ‘गौर’ का अर्थ माता पार्वती से है। गणगौर का पर्व विशेष तौर पर शिव पार्वती को समर्पित है यही वजह है कि इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शंकर और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करती हैं और उसके बाद उनकी पूजा करती हैं। गणगौर त्योहार को गौरी तृतीया के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक शास्त्रों में इस बात का विवरण है कि अगर कोई भी विवाहित स्त्री इस दिन गणगौर पूजा करती है तो उसे सौभाग्यवती का आशीर्वाद भगवान शंकर और माता पार्वती से प्राप्त होगा। और उसके पति की उम्र लंबी होगी इसके अलावा जो कुंवारी कन्या है इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा सच्चे मन से करती है उसे सुयोग्य पति की प्राप्ति होगी। महिलाएं परिवार में सुख-समृद्धि और खुशियां के लिए भी गणगौर का पर्व करते हैं।
गणगौर की कहानी (Story of Gangaur)
गणगौर त्यौहार से जुड़ी कहानी काफी मशहूर है इसकी शुरुआत तब होती है जब भगवान शिव, देवी पार्वती और नारद मुनि एक साथ पृथ्वी पर घूमने के लिए आते हैं और पास के जंगल में जब वह पहुंचते हैं तो गांव वालों को इस बात की जानकारी मिल जाती हैं। उनके आने का समाचार सुनकर गांव में रहने नेिचले तबके की महिलाएं देवताओं का सम्मान करने के लिए इमली पाउडर और अक्षत (एक प्रकार का अखंड चावल) माता पार्वती और भगवान शंकर को अर्पित करती हैं उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, देवी पार्वती ने उन्हें वैवाहिक आनंद और निष्ठा का आशीर्वाद दिया। इसके बाद उसे जाति की महिलाएं भी माता पार्वती है भगवान शंकर के लिए स्वादिष्ट व्यंजन लेकर आती हैं इसके बाद भगवान शंकर माता पार्वती से पूछते हैं देवी आपने तो अपना आशीर्वाद छोटे और गरीब पर के महिलाओं को जो दिया हैं। अब आप इन्हें क्या देंगी। जिस पर देवी पार्वती ने उत्तर दिया कि वह इन महिलाओं को अपने जैसा वैवाहिक और वैवाहिक आनंद का आशीर्वाद देंगी। इसके बाद उच्च जाति के महिलाओं ने सभी देवताओं का स्मरण कर कर माता पार्वती की पूजा की उसके बाद से गणगौर पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक कायम हैं।
गणगौर पूजा के लाभ (Gangaur Puja Vidhi Benefits)
- गणगौर त्योहार पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता हैं।
- देवी पार्वती सभी विवाहित महिलाओं सौभाग्यवती का आशीर्वाद देती है
- भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करने से विवाहित जोड़ों पर कृपा बरसती हैं।
- महिलाएं इसी ने अपने पति की लंबी उम्र के अलावा परिवार के लोगों की उम्र लंबी हो उसके लिए प्रार्थना करती हैं।
- अविवाहित लड़कियां भी अच्छा पति पाने के लिए गणगौर पूजा और व्रत कर सकती हैं।
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गणगौर पूजा सामग्री (Gangaur Puja Samagri)
लकड़ी की चौकी/पटा | पूजा की थाली |
लाल या पीले रंग का कपड़ा | फूल, घास, आम के पत्ते |
कॉपर पॉट | पानी से भरा बर्तन |
काली मिट्टी/होली की राख | पान के पत्ते |
गणगौर की मूर्ति | लकड़ी की टोकरी |
दो मिट्टी के बर्तन/बर्तन | नारियल |
मिट्टी के दीये | गुना मिठाई |
Brass Diyas | बेताल और अशोक चले जाते हैं |
मिट्टी के तेल का दीपक | Gangaur’s Clothes |
कुमकुम चावल हल्दी हिना गुलाल अबीर काजल, घी इत्यादि | गेहूं, चावल, मूंग |
गणगौर पूजा सामग्री लिस्ट PDF (Gangaur Puja Samagri List PDF)
गणगौर पूजा सामग्री की लिस्ट आप पीडीएफ के रूप में प्राप्त करना चाहते हैं तो आर्टिकल में उसकी पीडीएफ फाइल हम आपको उपलब्ध करवाएंगे जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
गणगौर पूजा कैसे करते है (Gangaur Ki Puja Kaise Karte Hain)
गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं व विवाहित स्त्रियां ताज़ा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर गाने गाती हुई घर पर आती है उसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर उसे चौकी पर स्थापित किया जाता हैं। उसके उपरांत शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सभी प्रकार की सुहागिन माता पार्वती को अर्पित की जाती है उसके बाद चन्दन,अक्षत, धूप,दीप, दूब व पुष्प के द्वारा उनकी पूजा अर्चना की जाएगी पति की की उम्र लंबी हो इसके लिए महिला दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली,मेहंदी व काजल जैसे चीज लगती हैं इसके बाद एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहाग का जल बनाया जाता हैं। अब महिलाएं दोनों हाथों में दूब लेकर इस पानी को पहले गणगौर माता की प्रतिमा पर अर्पित करती हैi फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर पानी को छिड़कती है सबसे आखिर में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता कहानी सुनाने की प्रक्रिया शुरू करती हैं |
गणगौर व्रत कथा (Gangaur Vrat Katha)
धार्मिक शास्त्रों में इस बात का वर्णन है की पार्वती जी ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए एक और तपस्या की थी तभी जाकर उन्हें भगवान शंकर पति के के रूप में प्राप्त हुए थे। गणगौर त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इसके संबंध में कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है उनमें से एक कथा के मुताबिक एक बार एक बार चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन मां पार्वती और शिवजी नारदमुनि के साथ भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान माता पार्वती और भगवान शंकर गांव में पहुंच गए गांव वालों को इस बात की खबर मिली जिसके बाद महिलाओं ने भगवान शंकर और माता पार्वती के लिए अच्छे-अच्छे पकवान बनाएं और उन्हें खाने के लिए दिया इससे परेशान होकर माता पार्वती ने उन सभी महिलाओं को सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया। इसके बाद ऊंचे वर्ग की महिलाएं भी माता पार्वती और भगवान शंकर से मिलने के लिए आई इसके उपरांत उन्होंने स्वादिष्ट पकवान भगवान शंकर और माता पार्वती को अर्पित किया इसके बाद भगवान शंकर ने माता पार्वती को कहा कि आपने तो अपना आशीर्वाद पहले ही छोटे और गरीब वर्ग के महिलाओं को दे दिया है अब आप इन महिलाओं को क्या आशीर्वाद देंगे इसके बाद माता पार्वती ने अपना अंगूठा काटकर खून के छींटों से महिलाओं को आशीर्वाद दिया तभी से गणगौर व्रत मनाने की परंपरा शुरू किया गया हैं।
गणगौर व्रत कथा PDF (Gangaur Vrat Katha PDF)
गदगोद व्रत कथा यदि आप पीडीएफ के स्वरूप में प्राप्त करना चाहते हैं तो उसका पूरा विवरण हम आपको आर्टिकल में देंगे आप उसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
गणगौर पूजन विधि (Gangaur Puja Vidhi)
गणगौर पूजन विधि के बारे में हम आपको नीचे जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं आईए जानते हैं-
- पूजा आरंभ करने के लिए सबसे पहले आपको एक बर्तन स्थापित करना होगा और उसे पर एक पवित्र चिन्ह) बनाया जाता है।
- उसके उपरांत कलश रखा जाएगा जिसमें पानी भरना होगा फिर किनारों पर पांच पान के पत्ते होते हैं और उसके बीच में कलश की तरह नारियल रखा होता है।
- अब आपको बर्तन में सवा रुपये रखे जाते हैं और एक सुपारी भगवान गणेश को अर्पित करेंगे और फिर उनकी आराधना शुरू करेंगे
- अब होली की राख और काली मिट्टी से सोलह छोटे-छोटे गोले बनाकर चौकी/पाटे पर रखें।
- इसके बाद जल, कुमकुम और चावल के बीज छिड़ककर पूजा की विधि को पूरा किया जाता है
- उसके बाद दीवार पर एक कागज लगाया जाता है और विवाहित लड़की सोलह-सोलह टिक्कियाँ लगते हैं और जिनकी शादी नहीं हुई है क्रमशः कुमकुम, हल्दी, मेंहदी और काजल की आठ-आठ टिक्कियाँ लगाती है।
- इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर ढोलक बजाती हैं और 16 बार गणगौर गीत गाती हैं
- इसके बाद, एक महिला भगवान गणेश कहानी पढ़ना शुरू करती है और साथ में और पाटे का गीत गाती है,
- अब आपको भगवान सूर्यनारायण को अर्घ और जल देती हैं।
- पूरे 16 दिन तक आपको माता गौरी और भगवान शंकर की पूजा करनी होगी
- सातवें दिन शीतला सप्तमी के दिन शाम को कुमार के यहां से गाजे-बाजे और उत्सव के साथ गणगौर और दो मिट्टी के बर्तन लाया जाते हैं।
- अष्टमी से गणगौर तीज तक हर सुबह बिजौरा को फूलों के द्वारा सजाया जाता हैं।
- गणगौर त्यौहार में कुल मिलाकर पांच मूर्तियां स्थापित की जाती हैं जिनमें ईसर जी (भगवान शिव), गणगौर माता (पार्वती माता), मालन, माली, दो ऐसे जोड़े और एक विमलदास जी हैं। इन सभी की प्रतिदिन पूजा की जाती है
- गणगौर पूजा के समापन पर सभी मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया जाता हैं।
गणगौर पूजन विधि PDF (Gangaur Puja Vidhi PDF)
गणगौर पूजा विधि पीडीएफ के रूप में अगर आपको प्राप्त करना है तो उसका पूरा लिंक हम आर्टिकल में उपलब्ध करवाएंगे जिस पर क्लिक करके आप गणगौर पूजन विधि पीडीएफ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सवाल है जवाब है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में
FAQ’s:
Q. गणगौर को मारवाड़ी में क्या कहते हैं?
Ans “गणगौर” शब्द “गण” और “गौर” से मिलकर बना है जहां पहले का तात्पर्य शिव से और दूसरे का गौरी से है।, मुख्य रूप से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के द्वारा गणगौर का त्योहार काफी धूमधाम और उमंग के साथ मनाया जाता हैं।
Q. गणगौर कौन मना सकता है?
Ans. यह त्योहार विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं द्वारा मनाया जाता हैं।
Q. गणगौर 2024 की तारीख क्या है?
Ans. आप शुक्रवार, 11 अप्रैल 2024 को गणगौर पूजा मना सकते हैं और कर सकते हैं।
Q. गणगौर त्यौहार किस राज्य में प्रमुख तौर पर मनाया जाता है?
Ans. राजस्थान में गणगौर त्यौहार प्रमुख तौर पर मनाया जाता हैं।
Q. गणगौर मेंकौन सी 5 मूर्तियां हैं?
Ans.गौर की मूर्ति, ईसर (शिव), कनीराम, रोवा बाई, सोवा बाई (कनीराम, रोवा बाई और सोवा बाई ईसरजी के भाई-बहन हैं)