Ghatasthapana 2024 : जैसा कि नाम से पता चलता है, नवरात्रि माँ दुर्गा के सम्मान में मनाया जाने वाला नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। नव हिंदू चंद्र वर्ष के अनुसार इसे प्रतिवर्ष चार बार मनाया जाता है। नवरात्रि के प्रकारों में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और वर्ष की शुरुआत के दौरान दो गुप्त नवरात्रि शामिल हैं। नवरात्रि उत्सव की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना नामक शुभ अनुष्ठान से होती है। कलश या घट एकत्र करने की रस्म आपके घर में माँ दुर्गा को एक औपचारिक निमंत्रण है। ऐसे में नवरात्रि में घट स्थापना करना आवश्यक है तभी जाकर आप नवरात्रि का त्यौहार मना पाएंगे।
इसलिए आज के लेख में Ghatasthapana 2024 से जुड़ी सभी जानकारी जैसे-क्या होता है, घटस्थापना (What is Ghatasthapana ) घटस्थापना का महत्व (Ghatasthapana Significance) घटस्थापना क्यों किया जाता है? घट स्थापना मुहूर्त के बारे में जानकारी आपको आसान भाषा में उपलब्ध करवाएंगे इसलिए आर्टिकल पर बने रहिएगा आईए जानते हैं:-
Ghatasthapana – Overview
आर्टिकल का प्रकार | महत्वपूर्ण त्यौहार |
आर्टिकल का नाम | Ghatasthapana 2024 |
कौन सा साल है | 2024 |
कब स्थापित किया जाता है | नवरात्रि के दिनों में |
कहां स्थापित कर सकते हैं | अपने घर में |
कौन से धर्म के लोग स्थापित करते हैं | हिंदू धर्म के लोग |
कलश स्थापित का शुभ मुहूर्त | 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी। ये तिथि अगले दिन यानी 09 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। |
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क्या होता है घटस्थापना (What is Ghatasthapana)
घटस्थापना के दौरान, लोग एक कलश में ” पवित्र जल ” भरते हैं। फिर कलश को गाय के गोबर से लीपा जाता है और उसमें जौ के बीज बोए जाते हैं। फिर इसे रेत के गड्ढे में रखा जाता है जिसमें जौ के बीज भी बोए जाते हैं। फिर इस कलश को एक पुजारी द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है जो देवी दुर्गा से पूरे उत्सव के दौरान बर्तन में निवास करने के लिए कहता है।बर्तन की पूजा दिन में दो बार, उत्सव समाप्त होने तक, परिवार के किसी सदस्य द्वारा की जाती है। कलश को सूर्य की रोशनी से दूर रखा जाता है और उसमें प्रतिदिन पवित्र जल डाला जाता है। इस गतिविधि के परिणामस्वरूप गमले से एक लंबी, पीली घास उगती है जिसे “जमारा” कहा जाता है।
घटस्थापना का महत्व (Ghatasthapana Significance)
नवरात्रि में घटस्थापना और पूजन से सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं और भक्तों को पूजा का लाभ प्राप्त होता है। वास्तव में जो घट या कलश है, उसमें सभी देवी- देवताओं का आवाहन किया जाता है। इसे 33 कोटियों के देवी-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है।देवी-देवताओं के अतिरिक्त कलश में चारों वेदों और पवित्र नदियों का भी आवाहन किया जाता है। शास्त्रों में, कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ पर भगवान शंकर और जड़ यानी कलश के निचले स्थान में ब्रह्मा जी का स्थान बताया गया है। साथ ही कलश के ऊपर जो नारियल रखा जाता है, वह देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
घटस्थापना क्यों किया जाता है (What do we do in Ghatasthapana?)
नवरात्रि के दिनों में घटस्थापना करने से आपको माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होगा इसके अलावा शास्त्रों में भी इस बात का विवरण है कि नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के माध्यम से होती हैं। घटस्थापना या कलश स्थापना, जिसमें किसी के घर के प्रार्थना कक्ष में एक कलश या पानी से भरा बर्तन और आम के पत्तों, नारियल और अन्य शुभ वस्तुओं से सजाया जाता है, नवरात्रि के प्राथमिक अनुष्ठानों में से एक है। यह अनुष्ठान देवी दुर्गा से घर में धन और समृद्धि लाने का अनुरोध माना जाता है। यह आम तौर पर स्वीकार किया जाता है कि नवरात्रि के दौरान इस अनुष्ठान को करने से सौभाग्य, आशीर्वाद और सौभाग्य प्राप्त होता है।
घट स्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Time)
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा |
कलश स्थापना मुहूर्त – | सुबह 06.01 – सुबह 10.15 (अवधि 4 घंटे 14 मिनट) |
अभिजित मुहूर्त – | सुबह 11.57 – दोपहर 1248 (अवधि 51 मिनट) |
घटस्थापना फोटो (Ghatasthapana Images)
घट स्थापना संबंधित फोटो अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं तो आर्टिकल में घटस्थापना फोटो उपलब्ध करवाएंगे जिसे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं।
घटस्थापना और कलश स्थापना में अंतर (Difference Between Ghatasthapana and Kalash Sthapana)
नवरात्रि के दिनों में घटस्थापना और कलश स्थापना का विशेष महत्व है ऐसे मैं आपको बता दे की घटस्थापना कलश स्थापना स्थापना में दोनों में अंतर होती हैं। घटस्थापना की विधि पूरी करने के लिए मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल किया जाता हैं। उसमें बोया, मिट्टी और सात प्रकार के अनाज भर दिये जाते हैं। उसके बाद घटस्थापना के लिए विशेष प्रकार के मंत्र का उच्चारण किया जाता हैं। कलश स्थापना के बिना नवरात्रि अधूरी मानी जाती है। यह देवी दुर्गा को समर्पित पूजा और अनुष्ठानों के लिए विशेष महत्व रखता है। कलश स्थापना तांबे के बर्तन के माध्यम से होता हैं। कलश स्थापना की विधि में कलश को पत्तियों, फूलों और अन्य पारंपरिक सजावट से खूबसूरती से सजाएं। कलश के ऊपर अक्सर नारियल रखा जाता है उसके बाद ही कलश स्थापित कर पाएंगे
नवरात्री घटस्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat)
पंचांग के मुताबिक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात 11:50 से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 09 अप्रैल रात 08:30 पर होगा। हिन्दू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है, जिसके चलते चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ और घटस्थापना 09 अप्रैल 2024, मंगलवार के दिन किया जाएगा।पंचांग में बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:02 मिनट से सुबह 10:16 के बीच रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना मान्य है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12:48 के बीच रहेगा. बता दें कि वैधृति योग में घटस्थापना वर्जित है.
घटस्थापना विधि (Ghatasthapana Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके पश्चात् पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण कर लें।
- अब पूजा स्थल पर चौकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
- ध्यान रखें कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में हो।
- चौकी पर माता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर लें।
- आप माता की प्रतिमा को स्थापित करने से पहले उन्हें गंगाजल से स्नान भी करवा सकते हैं।
- उनका श्रृंगार करने के बाद उन्हें चौकी पर विराजमान कर सकते हैं।
- अब चौकी पर माता की प्रतिमा के बाएं ओर अक्षत से अष्टदल बनाएं।
- अष्टदल बनाने के लिए कुछ अक्षत रखें और उसके बीच से शुरू करते हुए, बाहर की तरफ 9 कोने बनाएं।
- इसके ऊपर ही घटस्थापना (ghatasthapana) करें।
- अब आपको आचमन करना है, उसके लिए आप बाएं हाथ में जल लें, और दायं हाथ में डालें, इस प्रकार दोनों हाथों को शुद्ध करें।
- फिर आचमन मंत्र –“ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम:” का उच्चारण करते हुए 3 बार जल ग्रहण करें, इसके बाद पुनः हाथ धो लें।
- घट स्थापना से पहले सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें और उसके ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें।
- अब आप एक मिट्टी का बड़ा कटोरा लें, जिसमें मिट्टी डालकर जौ बो दें।
- इस पात्र को चौकी पर बनाएं गए अष्टदल पर रख दें।
- इसके अलवा आप एक मिट्टी, तांबे या पीतल का कलश लें, जिसपर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
- कलश के मुख पर मौली बांधे।
- इस कलश में गंगा जल, व शुद्ध जल डालें।
- जल में हल्दी की गांठ, दूर्वा, पुष्प, सिक्का, सुपारी, लौंग इलायची, अक्षत, रोली और मीठे में बताशा भी डालें।
- ऐसा करते समय आप इस मंत्र का उच्चारण करें- “कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:। कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा, ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामवेदो अथर्वणा: अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता:।”
- अब कलश के मुख को 5 आम के पत्तों से ढक देंगे और आम के पत्तों पर भी हल्दी, कुमकुम का तिलक अवश्य लगाएं।
- इन आम के पत्तों पर एक पात्र में अक्षत डाल कर रख दें।
- अब एक जटा वाला नारियल लें और उसपर चुनरी लपेट दें और मौली बांध दें।
- इस नारियल को कलश के ऊपर चावल वाले पात्र में रख दें।
- अंत में इस कलश को जिस मिट्टी के पात्र में जौ बोए थे, उसके ऊपर रख दें।
घट स्थापना के लिए क्या क्या सामग्री चाहिए? (Ghatasthapana Samagri List)
कुमकुम | कपूर |
गंगाजल, | पंचामृत |
शुद्धजल, | गुड़ |
सिक्का, | जटा वाला नारियल, |
दूर्वा | मिश्री |
जौ के दाने, | पांच प्रकार के फल, |
मिट्टी | मेवे चौकी, |
अक्षत, | कुश का आसन |
हल्दी | नैवेद्य, यज्ञोपवित या जनैऊ |
कुंकू | लाल चुनरी इत्यादि। |
गुलाल, | सिंदूर, |
रंगोली, | आम के पत्ते |
कपूर, | सुपारी |
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घटस्थापना की पूजा कैसे करें (How to Worship Ghatasthapana)
- घटस्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है, जिसे प्रतिपदा के नाम से जाना जाता है।
- कलश, एक पीतल या मिट्टी का बर्तन, पवित्र जल, सुपारी, सिक्के और पत्तियों से भरा होता है। शीर्ष पर एक नारियल रखा जाता है और लाल कपड़े से सजाया जाता है।
- एक मिट्टी का बिस्तर तैयार किया जाता है, और उसके ऊपर कलश रखा जाता है। कलश के चारों ओर एक छोटा आयताकार मंच बनाया जाता है और उस पर जौ के बीज बोए जाते हैं।
- दैवीय उपस्थिति का आह्वान करने के लिए प्रार्थना की जाती है, और देवता को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है।
- पूरे नवरात्रि में, भक्त कलश बनाए रखते हैं, उसमें जौ के बीज डालते हैं और प्रतिदिन उसके पास दीपक जलाते हैं।
घटस्थापना मंत्र (Ghatasthapana Mantra)
- तदुक्तं तत्रैव कात्यायनेन प्रतिपद्याश्विने मासि भवो वैधृति चित्रयोः । आद्य पादौ परित्यज्य प्रारम्भेन्नवरान्नकमिति।।
- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
कलश स्थापना (Kalash Sthapana)
कलश स्थापना के बिना नवरात्रि अधूरी मानी जाती है। यह देवी दुर्गा को समर्पित पूजा और अनुष्ठानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस क्रिया को “घटस्थापना” भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कलश की स्थापना अशुभ समय पर की जाती है, तो इससे देवी दुर्गा का प्रकोप हो सकता है।
कलश स्थापना कब है (Kalash Sthapana Kab Hai)
कलश स्थापना 9 अप्रैल को सुबह 06:12बजे से 10:23 बजे सुबह तक कर सकते हैं। यह सामान्य मुहूर्त है, जिसमें 4 घंटे 11 मिनट कलश स्थापना के लिए मिल रहे हैं।
कलश स्थापना विधि (Kalash Sthapana Vidhi)
- कलश के बाहरी तरफ हल्दी का तिलक लगाएं।
- पानी में कुछ सिक्के डालें।
- कलश के गले में आम के पत्ते रखें।
- पत्तियों का निचला भाग पानी को छूना चाहिए, जबकि पत्तियों का सिर ऊपर की ओर होना चाहिए।
- फिर कलश के मुख पर छिलके सहित एक नारियल रखें। भूसी का मुख ऊपर की ओर आकाश की ओर होना चाहिए।
- इसके बाद कलश पर चंदन, हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं।
- इसके बाद कलश को मिट्टी के बर्तन के बीच में रखें और फिर उसके चारों ओर मिट्टी को समान रूप से फैला दें।
- नवधान्य के बीज लें और सतह पर समान रूप से बोएं और इसे मिट्टी की पतली परत से ढक दें।
- इसके बाद बीज के लिए आवश्यक मात्रा में पानी का छिड़काव करें. नौ दिनों के दौरान बीज छोटे पौधों में अंकुरित होंगे। बीज का विकास सकारात्मकता, वृद्धि और सफलता का संकेत देता है।
- यूनिट को लकड़ी के तख्ते पर रखें जो कपड़े के नए टुकड़े से ढका हुआ हो।
- एक बार चरण पूरा हो जाने पर, कलश पर नया कपड़ा और ताजे फूलों से बनी माला चढ़ाएं।
- संकल्प लेकर पूरी लगन और श्रद्धा से व्रत को पूरा करना होता है।
- फिर पंचोपचार पूजा करें और इसके लिए सरसों, तिल के तेल या घी का दीपक जलाना चाहिए।
- इसके बाद अगरबत्ती, फूल, पान का पत्ता, सुपारी, केला, नारियल, हल्दी, कुमकुम और सिक्के के रूप में पैसे चढ़ाएं।
- अंत में मां को भोग या नैवेद्य अर्पित करें.
- जय अम्बे आरती गाकर पूजा पूर्ण करें।
- भोग और नैवेद्य को प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए
कलश पूजा मंत्र (Kalash Pujan Mantra)
- ओम तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
- अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः।
- अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि।
- ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
- ‘ओम अपां पतये वरुणाय नमः
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कलश के ऊपर नारियल कैसे रखें?
कलश में जल डालें और एक सिक्का डालें फिर उसके ऊपर नारियल रखें। इस तरीके से नारियल स्थापित करने से पूजन सभी देवी देवताओं को स्वीकार्य होता है और घर की सुख समृद्धि बनी रहती है।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!
FAQ’s: Ghatasthapana 2024
Q. घर के मंदिर में कलश स्थापना कैसे करें?
कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। इसके बाद आप माता की चौकी लगाकर कलश को स्थापित करेंगे सबसे पहले आप जिस जगह पर काला स्थापित कर रहे हैं वहां पर गंगाजल का छिड़काव कर उस जगह को पवित्र करेंगे। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करेंगे फिर कलश में आम का पत्ता और गंगाजल भर देंगे उसके उपरांत ही घर में आप कलश स्थापित कर पाएंगे
Q. कलश स्थापना में कलश में क्या क्या डालें?
Ans. कलश स्थापना के समय आप जौ बोने के लिए चौड़े मुंह वाला मिट्टी का पात्र, स्वच्छ मिट्टी, मिट्टी या तांबे का कलश साथ में ढक्कन, कलावा, लाल कपड़ा, नारियल, सुपारी, गंगाजल, दूर्वा, आम या अशोक के पत्ते, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), अक्षत, लाल पुष्प, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, मिठाई, इत्र, सिक्का इत्यादि कलश में डालने होंगे
Q. पूजा के बाद कलश का क्या करना चाहिए?
Ans.नवरात्रि पूजा करने के बाद कलश से नारियल को उतार कर बहते जल में प्रवाहित कर सकते हैं। ऐसा करने से मां गंगा भी प्रसन्न होने लगती है और उनका आशीर्वाद मिलता है।
Q. नवरात्रि में कलश किस तरफ रखना चाहिए?
Ans.सुनिश्चित करें कि कलश को मंदिर की उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
Q. नवरात्रि में कलश कब उठाया जाता है?
Ans. कलश का विसर्जन नवमी या दशमी तिथि के दिन किया जाता है और इन्हीं दिनों को कलश उठाने के लिए शुभ माना जाता है।