Swami Vivekananda Biography in Hindi- दुनिया भर में स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि स्वामी विवेकानंद देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। स्वामी विवेकानन्द एक संन्यासी गुरु, आध्यात्मिक का नेता, महान नेता जैसे नाम से अभी भी प्रचलित है। कोलकाता के एक साधारण परिवार जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त बड़े होते -होते संपूर्ण रूप से अध्यात्म में रम गए और जब महान गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिले तो नरेंद्रनाथ दत्त स्वामी विवेकानन्द बनने की यात्रा प्रारंभ हुई। भारत देश के वेदांत ज्ञान केको जिस प्रकार संपूर्ण दुनिया के सामने लाने का कार्य अमेरिका में हुई संसद धर्म में किया उसके बारे में कौन नहीं जानता है और जैसे कि आप लोगों को पता है प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ठीक इसी प्रकार साल 2024 में 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद कि जयंती को मनाया जाएगा।
ऐसे में लोगों के मन में उनके प्रति जानने की इच्छा जागृत होती है। तो आईए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द का जन्म, स्वामी विवेकानन्द विकिपीडिया हिंदी में | Swami Vivekananda Wikipedia in Hindi, स्वामी विवेकानन्द हिंदी में Swami Vivekananda in Hindi, स्वामी विवेकानन्द का परिचय | Introduction of Swami vivekananda,स्वामी विवेकानन्द का जीवन | life of Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द का बचपन | Childhood of swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द शिक्षा Swami Vivekananda Education, स्वामी विवेकानन्द इतिहास Swami vivekananda History, स्वामी विवेकानन्द पत्नी | Swami vivekananda Wife, स्वामी विवेकानन्द संगठनों की स्थापना | Swami vivekananda Organizations Founded, Books Written by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम ,स्वामी विवेकानंद के सिध्दांत ,स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन, स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु | Swami Vivekananda Death संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान कर रहे हैं इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
स्वामी विवेकानन्द विकिपीडिया हिंदी में (Swami Vivekananda Wikipedia in Hindi)
नाम | स्वामी विवेकानंद |
उपनाम | नरेंद्र एवं नरेन |
जन्म तारीख | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान | कोलकाता ,पश्चिम बंगाल |
वंशावली | बंगाली |
पिता का नाम | विश्वनाथ दत्त |
माता का नाम | भुवनेश्वरी देवी |
पत्नी का नाम | अविवाहित थे |
गुरु | रामकृष्ण परमहंस |
भाई का नाम | भूपेंद्रनाथ दत्त |
संघटन | वेदांत सोसायटी, अद्वैत आश्रम, शांति आश्रम |
पेशा | धर्मगुरु |
संस्थापक | रामकृष्ण मिशन एवं रामकृष्ण मठ |
देश | भारत |
धर्म | हिंदू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | संस्कृत, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, अरबी |
मृत्यु स्थान | बेलूर मठ |
जीवन काल | 39 वर्ष |
मृत्यु का तारीख | 4 जुलाई 1902 |
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स्वामी विवेकानन्द का जन्म (Birth Of Swami Vikananda)
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता शहर के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त एवं माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इनके पिता कोलकाता हाई कोर्ट के एक वकील के पद पर थे। इनके पिता पाश्चात्य सभ्यता पर विश्वास रखते थे इसलिए अपने पुत्र नरेंद्रनाथ को अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के अनुसार चलाना चाहते थे। लेकिन उनकी माता धार्मिक विचारों की महिला थी उनका अधिकांश समय पूजा पाठ में ही व्यतीत होता था। स्वामी विवेकानंद बचपन से ही काफी बुद्धिमान बालक थे इसलिए बचपन से ही भगवान को जानने की लालसा उनके मन में थी।
स्वामी विवेकानन्द हिंदी में (Swami Vivekananda in Hindi)
स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके परिवार में धार्मिक वातावरण होने के कारण इनका झुकाव बचपन से ही भक्ति भावना के तरफ चला गया था। इन्होंने सांसारिक मोह माया को त्याग कर 25 वर्ष के आयु में सन्यासी जीवन अपना लिया था।इनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के द्वारा स्वामी विवेकानंद का नाम दिया गया था। अमेरिका के शिकागो में एक धार्मिक सम्मेलन में के तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किए थे, जिसकी चर्चा अभी तक की जाती है। इसके अलावा इन्होंने वेदांत दर्शन का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में किया था। वह हमेशा अपने आप को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-विदेश में उज्जवल करने का सदा प्रयास किया और रोजाना की तरह ध्यान करते समय जुलाई 1902 को इनका निधन हो गया।
स्वामी विवेकानन्द का परिचय (Biography of Swami Vivekananda)
स्वामी विवेकानंद परिचय हम आपको नीचे निम्न वाक्य के द्वारा प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे आप लोग ध्यानपूर्वक पढ़े:-
- स्वामी विवेकानन्द एक भारतीय दार्शनिक, एक हिंदू भिक्षु और एक आध्यात्मिक नेता थे।
- उनका जन्म नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था, जो बाद में बदलकर स्वामी विवेकानन्द हो गया।
- उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था.
- वह कोलकाता के एक बंगाली परिवार से थे।
- वे श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।
- उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- उन्होंने 1893 में शिकागो में एक यादगार भाषण दिया था।
- वह रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं।
- उन्होंने अपना जीवन लोगों को वेदांत के बारे में सिखाने में बिताया।
- 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में ध्यान करते समय उनकी मृत्यु हो गई।
स्वामी विवेकानन्द का जीवन (life of Swami Vivekananda)
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 19वीं सदी में, कोलकाता के एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनका जन्म नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था, और ज्ञान प्राप्त करने और हिंदू सन्यासी बनने के बाद ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद नाम अपनाया। उन्होंने न केवल अपने देश के लोगों को बल्कि विदेशों में रहने वाले लोगों को भी हिंदू धर्म और वेदांत के सिद्धांतों की शिक्षा दी। 1893 में शिकागो में धर्म संसद में दिए गए उनके प्रसिद्ध भाषण की चर्चा आज भी की जाती है। स्वामी विवेकानन्द श्री रामकृष्ण परमहंस की ईश्वर भक्ति से प्रभावित हुए और उनके शिष्य बन गये। अपने आध्यात्मिक गुरु से प्रेरित होकर, स्वामी विवेकानन्द ने उनके नाम पर रामकृष्ण मिशन नामक एक संस्था का स्थापना किये। 4 जुलाई, 1902 को दैनिक ध्यान करते ध्यानवस्था में ही उनका निधन हो गया।
स्वामी विवेकानन्द का बचपन (Childhood of Swami Vivekananda)
स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही काफी कुशाग्र बुद्धि के और नटखट प्रवृत्ति के बच्चे थे। वह अपने सहपाठियों के साथ शरारत तो करते ही रहे थे साथ ही साथ जब मौका मिलता था तो अपने शिक्षक के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। इनकी माता के अंदर धार्मिक प्रवृत्ति होने के कारण वह रोजाना नियम के अनुसार पूजा पाठ करते थे इसी कारण रामायण, महाभारत ,पुराण आदि कथा सुनने का शौक रखते थे। उनके घर हमेशा कथावाचक आते ही रहते थे। और नियमित रूप से भगवान के भजन एवं कीर्तन की कार्यक्रम होता रहता था। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण होने के कारण इन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके कारण बचपन से ही उनके मन में धर्म के प्रति काफी रुचि बढ़ गई थी। माता-पिता के संस्कार एवं धार्मिक वातावरण के कारण उनके मन में बचपन से ही भगवान को जन एवं दर्शन करने की लालसा दिखाई देने लगी थी। कभी-कभी तो यह भगवान के बारे में जानने के लिए कई ऐसे ऐसे प्रश्न करते थे जिससे उनके माता-पिता को कथावाचक पंडित जी के पास जाना पड़ता था।
स्वामी विवेकानन्द शिक्षा (Swami Vivekananda Education)
स्वामी विवेकानन्द जी अपनी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा की शुरुआत ईश्वर चंद्र विद्यासागर संस्थाओं से किए थे। इसके बाद इन्होंने अपनी प्रमुख कॉलेज ,प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में स्नातक के लिए एडमिशन करवाए थे। कोलकाता के कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई पढ़ते हुए कुश्ती, बॉडीबिल्डिंग जैसे प्रत्येक खेलों में हिस्सा लिए थे। स्वामी जी संगीत काफी शौकीन थे। बचपन के समय से ही स्वामी जी एक जिज्ञासावाद बालक थे। उनका पढ़ने में काफी रुचि था इसलिए उनका प्रत्येक विषय पर अच्छा खासा पकड़ होता था। स्वामी जी अपने परिवार के धार्मिक वातावरण से काफी प्रभावित थे जिसका परिणाम हुआ कि हिंदू धर्म ग्रंथ, भगवत गीता और अन्य उपनिषदों अच्छी तरह से पढ़े। इनकी पढ़ाई यहीं पर नहीं रुकी, दूसरी ओर उन्होंने हर्बर्ट स्पेंसर एवं डेविड ह्यूम के द्वारा ईसाई धर्म एवं पश्चिमी दर्शन का खोज किए थे।
स्वामी विवेकानन्द इतिहास (Swami Vivekananda History)
स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद, ट्रस्टियों ने धन वापस ले लिया और कई शिष्यों ने अभ्यास छोड़ दिया और घरेलू जीवन जीने लगे, जबकि स्वामी विवेकानन्द उस स्थान को एक मठ बनाने के लिए दृढ़ थे इसलिए वह वहाँ कई घंटों तक ध्यान में बैठे रहे। ऐसी धार्मिक प्रथाओं के साथ 2 साल बाद 1888-1893 तक उन्होंने केवल एक बर्तन और 2 किताबें अर्थात् भगवद गीता और द इमिटेशन ऑफ क्राइस्ट लेकर भारत में बड़े पैमाने पर यात्रा की। वह जो भी भिक्षा प्राप्त करते थे उसी से अपना जीवन का गुजारा करते थे और कई विद्वानों और सभी धर्मों के राजाओं के साथ रहकर लोगों से परिचित होते थे।
उन्होंने लोगों की अत्यधिक गरीबी और पीड़ा देखे और अपने साथी लोगो के प्रति गहरी सहानुभूति महसूस की। बाद में उन्होंने 1 मई 1893 से पश्चिम की यात्रा शुरू की। जापान, चीन, कनाडा का दौरा किया और 30 जुलाई 1893 को शिकागो पहुंचे। सितंबर 1893 में हार्वर्ड प्रोफेसर की मदद से हुई धर्म संसद में जॉन हेनरी राइट ने भाषण दिया। भारत में हिंदू धर्म और मठों में उनकी प्रथाओं के बारे में। वह नरेंद्रनाथ के रूप में नहीं, बल्कि नरेंद्रनाथ के रूप में विदेश गए, जैसा कि खेतड़ी के अजीत सिंह ने सुझाव दिया था, जो उनसे पहली बार तब मिले थे जब वह मठ में पढ़ा रहे थे और उनके ज्ञान से दंग रह गए थे। विवेकानन्द संस्कृत शब्द विवेक से बना है जिसका अर्थ है ज्ञान प्रदान करना और आनंद का अर्थ है आनंद।
वह एक खुले विचारों वाले व्यक्ति थे जिनकी सभी शिक्षाओं में उत्कृष्ट संदेश राष्ट्रवाद था। उन्होंने योग और पतंजलि सूत्रों में वर्णित सभी रूपों का ज्ञान फैलाया। वह जमशेदजी टाटा की यात्राओं में भी उनके साथ रहे और उन्हें अनुसंधान पर केंद्रित एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने फिर से यूके और यूएस का दौरा किया और अपनी दूसरी यात्रा के दौरान वेदांत सोसाइटीज़ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सैन फ्रांसिस्को और कई आश्रमों में शांति वापसी थी। उन्होंने हमेशा अपने भाषणों में भगवद गीता की शिक्षाओं को शामिल किया और लोगों को कर्म योग के अर्थ से अवगत कराने का प्रयास किया, जो कि जीवन का अनुसरण करने का मार्ग है। वह दूसरों का भला करने के दर्शन में विश्वास करते थे और मानते थे कि दिव्यता सर्वोच्च है और दिव्यता प्रत्येक आत्मा में निवास करती है। उनकी अविश्वसनीय विरासत को आज भी याद किया जाता है और उसका अनुसरण किया जाता है।
स्वामी विवेकानन्द पत्नी (Swami Vivekananda Wife)
स्वामी विवेकानंद एक संन्यासी एवं आध्यात्मिक नेता थे जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को वेदांत की शिक्षा से परिचित कराने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थे। स्वामी विवेकानन्द अपने जीवन काल में विवाह नहीं किए थे। अपना संपूर्ण जीवन ब्रह्मचारी के रूप में एवं मानव कल्याणकारी के समर्पित कर दिए थे। स्वामी विवेकानंद जी का ध्यान आत्मा- साक्षात्कार करने एवं जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने का था। इसलिए उनका यह कहना था कि विवाह जैसी सांसारिक मोह माया के माध्यम से आत्म साक्षात्कार की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
स्वामी विवेकानन्द संगठनों की स्थापना | Swami Vivekananda Organizations Founded
कोलकाता लौटने के बाद स्वामी विवेकानन्द जी पृथ्वी पर के मिशन में से एक और महत्वपूर्ण कार्य किए थे। इन्होंने 1मई 1897 में एक विशेष प्रकार के संगठन का स्थापना किए, से रामकृष्ण मिशन के नाम से जाना जाता है। जिसमें साधु एवं साधारण लोग एक साथ मिलकर प्रैक्टिकल वेदांत का प्रचार प्रसार करते थे और विभिन्न प्रकार के सामाजिक संबंधित कार्य जैसे स्कूल कॉलेज अस्पताल छात्रावास ग्रामीण विकास चलाते थे। भारत एवं अन्य देश विभिन्न क्षेत्रों में भूकंप चक्रवात जैसे आपदाओं के समय पीड़ित लोगों को बड़े पैमाने पर राहत एवं पुनर्वास की व्यवस्था करती है।
1898 के शुरुआती दिनों में स्वामी विवेकानन्द जी ने मुख्य रूप से बारानगर में शुरू हुआ मठ एवं मठ के व्यवस्था के लिए स्थाई रूप से निवास करने के लिए गंगा नदी के किनारे बेलूर नामक स्थान पर जमीन खरीदा और कुछ समय के बाद ही इसे रामकृष्ण मठ के नाम से पंजीकृत कर दिए। जो प्राचीन मठवासी आदर्शों को आधुनिक जीवन की परिस्थितियों के अनुकूल बनाता है, जो व्यक्तिगत रोशनी और सामाजिक सेवा को समान महत्व देता है, और जो धर्म, नस्ल या जाति के किसी भी भेदभाव के बिना सभी पुरुषों के लिए खुला है।
स्वामी विवेकानन्द के द्वारा लिखी गई किताब | Books Written by swami vivekananda
हिंदू सन्यासी नेता स्वामी विवेकानन्द जी के द्वारा हिंदू धर्म, योग एवं आध्यात्म पर लिखी गई पुस्तक निम्नलिखित है:-
1. | हिन्दू धर्म |
2. | राजयोग |
3. | कर्मयोग |
4. | प्रेम योग |
5. | ज्ञानयोग |
6. | मेरा जीवन तथा ध्येय |
7. | जाति, संस्कृति और समाजवाद |
8. | वर्तमान भारत |
9. | पवहारी बाबा |
10. | भक्तियोग |
11. | जाग्रति का सन्देश |
12. | भारतीय नारी |
13. | ईशदूत ईसा |
14. | धर्मतत्त्व |
15. | मेरी समर – नीति |
16. | शिक्षा |
17. | मरणोत्तर जीवन |
स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम
स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था। तो कोलकाता में स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर के काफी प्रचलित एवं बड़े पुजारी थे। रामकृष्ण परमहंस एक महान संत के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञान, सन्यासी, तपस्वी एवं सभी धर्म के बारे में जानने वाले बड़े ज्ञानी थे। स्वामी विवेकानंद महाकाली के परम भक्त थे। विवेकानंद एवं परमहंस की मुलाकात पहली बार 1881 में हुआ था। तभी रामकृष्ण परमहंस ने अपने ज्ञान के द्वारा यह अनुमान लगाए की यही मेरा परम भक्त है जो भक्ति में लीन है। तभी से स्वामी विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मानने लगे।
स्वामी विवेकानंद के सिध्दांत (Principles of Swami Vivekananda)
स्वामी विवेकानंद अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-
- स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन काल में सभी व्यक्तियों को निर्भय होकर जीवन को व्यतीत करने के लिए प्रोत्साहन दिए हैं।
- स्वामी विवेकानंद के अनुसार सभी व्यक्ति को अपने जीवन काल में आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भर होना चाहिए से उनके जीवन की रहा विकास की और तेजी के साथ बढ़ सके।
- स्वामी विवेकानंद लोगों को अपने शब्दों पर विश्वास करने की प्रेरणा दी है जिसके द्वारा मनुष्य की स्वाभिमान में वृद्धि हो सके।
- स्वामी विवेकानंद ने भाई बहनों को बहादुर होने के महत्व को समझाया है जिससे उनके पारिवारिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन संभव हो सके।
स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन (Good Thought)
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.
बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं.
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए.
ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं.वो हमीं हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है.
जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे. यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो तुम ताकतवर हो जाओगे.
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
तुम फुटबॉल के जरिए स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाए गीता का अध्ययन करने के.
किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या न आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.
सबसे बड़ा धर्म है, अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना.स्वयं पर विश्वास करो.
स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु (Swami Vivekananda Death)
सन 1899 में जब स्वामी विवेकानन्द अमेरिका से लौट रहे थे तब वह बीमार पड़ गए थे। वह लगभग 3 साल तक बीमारी से लड़ते रहे। उस समय स्वामी विवेकानन्द का नाम पूरे विश्व में काफी प्रचलित हो चुका था। और अपने प्रतिदिन ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं भूले और 4 जुलाई 1902 को प्रतिदिन की तरह सुबह को दो-तीन घंटा उन्होंने ध्यान किया और ध्यानवस्था में ही समाधि ले ली। कोलकाता के बेलूर गंगा घाट पर चंदन के चिता पर अंतिम संस्कार हुआ।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आप लोगों को काफी पसंद आया होगा ऐसे में आप हमारे आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न एवं सुझाव है तो आप लोग हमारे कमेंट बॉक्स में आकर अपने प्रश्नों को पूछ सकते हैं हम आपके प्रश्नों का जवाब जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद मिलते हैं अगले आर्टिकल में
FAQ’s: Swami Vivekananda Biography in Hindi
Q.विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए स्वामी विवेकानंद जी कहा गये थे?
Ans.शिकागो (संयुक्त राज्य अमेरिका)
Q. रामकृष्ण मिशन संस्था की स्थापना कब हुई थी?
Ans. स्वामी विवेकानंद।
Q. स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु कब और कैसे हुई? (स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु कैसे हुई?)
Ans. 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हुई थी, चित्र उनके शिष्यों द्वारा उपदेशित होकर महासमाधि ली थी।
Q. स्वामी विवेकानंद जी ने कौन सी किताब लिखी थी? (स्वामी विवेकानन्द पुस्तकें)
Ans.राज योग, कर्म योग, भक्ती योग, मेरे गुरु, अल्मोडा से कोलकता तक पूछे गए व्याख्यान इत्यादी।
Q. स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्ध नारा क्या था?
Ans.उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।