Solar Eclipse 2024 : पृथ्वी, अन्य ग्रहों के साथ, अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर घूमती है। बदले में, चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। एक समय ऐसा आता है जब तीन खगोलीय पिंड एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। यह तब होता है जब ग्रहण होता है। मुख्य तौर पर ग्रहण दो प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण ऐसे में हम आपको बता दें कि अप्रैल के महीने में सूर्य ग्रहण की घटना घटित होगी जिसे 8 अप्रैल को देखा जा सकता है हालांकि भारत में आप इसे देख नहीं पाएंगे क्योंकि या सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका के क्षेत्र में दिखाई पड़ेगा ऐसे में अगर आप भी जानना चाहते हैं कि अप्रैल महीने में साल का पहला सूर्य ग्रहण कब और कहां और किस दिखेगा इसके बारे में अगर आप नहीं जानते हैं,
तो आज के लेख में Solar Eclipse से जुड़ी जानकारी जैसे:- Timing of Solar Eclipse (Timing of Sutak kaal) What is eclipse ) Types of eclipse) Surya Grahan Kaise Padta Hai) Surya grahan Kab hota hai) Surya Grahan Me Kya Karna Chahiye) Surya Grahan Me Kya Nahi Karna Chahiye) के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी आपको प्रदान करेंगे आर्टिकल को ध्यान से पढ़िए आइये जानते हैं:-
Solar Eclipse – Overview
आर्टिकल का प्रकार | महत्वपूर्ण सूचना |
आर्टिकल का भाषा | हिंदी |
आर्टिकल का नाम | सूर्य ग्रहण |
साल कौन सा है | 2024 |
सूर्य ग्रहण कब लगेगा | 8 अप्रैल को |
भारत में क्या दिखाई पड़ेगा | जी नहीं |
2024 में सूर्य ग्रहण कब लगेगा?
2024 साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा यह सूर्य ग्रहण कई मायने में खास होने वाला हैं। इस सूर्य ग्रहण की अवधि अधिक होने वाली है। साल 2017 के बाद साल 2024 में लगने वाले सूर्य ग्रहण की अवधि अधिक होने वाली है साल 2024 में लगने जा रहे इस सूर्यग्रहण के खग्रास की अवधि 4 मिनट 28 सेकंड बताई जा रही हैं।
सूर्य ग्रहण का समय (Timing of Solar Eclipse)
वर्ष 2024 का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण चैत्र माह में मीन राशि और रेवती नक्षत्र में यानी 8 अप्रैल 2024 को लगने जा रहा है। पूर्ण सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को रात 21:12 बजे से शुरू होगा और 02 बजे समाप्त होगा। 9 अप्रैल 2024 को पूर्वाह्न 22 बजे।
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सूतक काल का समय (Timing of Sutak Kaal)
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस सूर्य ग्रहण का कोई सूतक काल नहीं होगा। इस समय लोग आराम कर सकते हैं क्योंकि उन्हें क्या करें और क्या न करें का पालन नहीं करना होगा, जो सूतक काल के दौरान आवश्यक है।
सूतक काल क्या होता है (Kya Hota Hai Sutak Kaal)
जब ग्रहण के स्थिति आती है तो उस समय सूतक काल का भी शुरू हो जाता हैं। जिस दौरान आपको कई प्रकार की चीजों का पालन करना होता है नहीं तो आपके ऊपर ग्रहण का हानिकारक प्रभाव पड़ेगा सूतक काल में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है क्योंकि समय पृथ्वी पूरी तरह से हानिकारक का कितनों से प्रदूषित हो जाती है |
ग्रहण किसे कहते है (What is Eclipse)
ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब घटित होती है जब एक अंतरिक्ष यान या एक खगोलीय पिंड किसी अन्य पिंड की छाया में गुजरने या उसके और पर्यवेक्षक के बीच से गुजरने के कारण अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाता है।
ग्रहण कितने प्रकार के होते है (Types of Eclipse)
ग्रहण दो प्रकार के होते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे है-
सूर्य ग्रहण क्या है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। परिणामस्वरूप, चंद्रमा सूर्य की रोशनी को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकता है और उस पर छाया डालता है। यह अमावस्या चरण के दौरान होता है। हम प्रति वर्ष अधिकतम 5 सूर्य ग्रहण देख सकते हैं।
चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा की सतह तक पहुंचने से रोकती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है। यह पूर्णिमा के दिन होता है। हम प्रति वर्ष अधिकतम 3 चंद्र ग्रहण देख सकते हैं।
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सूर्य ग्रहण कैसे पड़ता है (Surya Grahan Kaise Padta Hai)
सूर्य ग्रहण की घटना तब घटित होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है जिसके कारण चंद्रमा सूर्य की रोशनी को पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से रोकता है जिसके कारण हम लोगों को सूर्य ग्रहण दिखाई पड़ता है इस दौरान कई प्रकार की चीज करना वर्जित होती हैं। सूर्य ग्रहण दो प्रकार का होता है जिसका विवरण हम नीचे दे रहे हैं
आंशिक सूर्य ग्रहण
इस प्रकार के सूर्य ग्रहण में सूर्य का कुछ हिस्सा ढका हुआ दिखाई पड़ेगा बाकी हिस्सा आप आसानी से देख सकते हैं
पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है इस दौरान सूर्य का कोई भी हिस्सा आपको दिखाई नहीं पड़ेगा |
सूर्य ग्रहण कब होता है (Surya Grahan Kab Hota Hai)
सूर्य ग्रहण की घटना हमेशा अमावस्या के दिन ही घटित होती हैं। सूर्य ग्रहण तभी लगता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाती है जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंच नहीं पता है तभी सूर्य ग्रहण की घटना घटित होती है साल में चार बार सूर्य ग्रहण की घटना देखी जाती है 2024 में 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगने वाला हैं।
सूर्य ग्रहण कब है (Surya Grahan Kab Hai )
साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को दिखाई पड़ेगा हालांकि भारत में आप इसे देख नहीं पाएंगे इसे सूर्य ग्रहण को आप उत्तरी अमेरिका के क्षेत्र में देख पाएंगे
सूर्य ग्रहण क्यों होता है (Surya Grahan Kyon Hota Hai)
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। ऐसा कभी-कभार ही होता है, क्योंकि चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी की तरह ठीक उसी तल में परिक्रमा नहीं करता है। सूर्य ग्रहण देखने के लिए दो चीजों का एक साथ घटित होना आवश्यक है: सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी का एक सीधी रेखा में होना आवश्यक है, चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होना चाहिए; और आपको पृथ्वी पर सही स्थान पर खड़ा होना होगा।
सूर्य ग्रहण क्या होता है (Surya Grahan Kya Hota Hai)
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है और चंद्रमा पृथ्वी की ऐसे में जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में जाता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंच नहीं पता है जिसके कारण पृथ्वी पर एक विशाल छाया दिखाई पड़ती है जिसे हम लोग को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण किसे कहते हैं (What is Surya Grahan)
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित होता है और पृथ्वी पर छाया डालता है। नासा के अनुसार, सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या चरण के दौरान होता हैं। 2024 में सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को दिखाई पड़ेगा हालांकि भारत में आप इसे देख नहीं पाएंगे
सूर्य ग्रहण कैसे लगता है (Surya Grahan Kaise Lagta Hai)
हमारे सौरमंडल में 8 से अधिक ग्रह हैं ऐसे में हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करती है। सूर्य ग्रहण की घटना तब दिखाई पड़ती है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाती है जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंच नहीं पता है जिसके फल स्वरुप सूर्य ग्रहण की घटना दिखाई पड़ती हैं।
सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए (Surya Grahan Me Kya Nahi Karna Chahiye)
- सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक या शुभ करना वर्जित है
- भोजन का सेवन न करें नहीं तो आपके ऊपर राहु केतु का नकात्मक प्रभाव पड़ेगा
- ग्रहण के दौरान पीने के पानी में तुलसी का पत्ता रखें ताकि पानी दूषित ना हो
- सूर्य ग्रहण का दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- नाख़ून काटना, छीलना, कुछ छौंकना या बघारना नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान मंदिर की मूर्ति को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए (Surya Grahan Me Kya Karna Chahiye)
- गर्भवती महिलाओं को अपने पास नारियल रखना चाहिए। जिसके पास जरूर गर्भवती महिलाओं और उसके बच्चे के ऊपर ग्रहण का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा ग्रहण खत्म होने के बाद नारियल को बहते हुए जलधारा में प्रवाहित कर दे
- -गर्भवती महिलाएं सूर्य ग्रहण के समय पेट पर गेरू लगाकर रखना चाहिए ताकि बच्चे पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव न पड़े
- – सूर्य ग्रहण के के समय मन में गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करें इससे आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा।
- सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें ताकि घर में अगर ग्रहण का कोई भी नकात्मक प्रभाव होगा तो इसका समापन हो जाएगा।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं इसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे..!!
FAQ’s: Solar Eclipse 2024
Q. 2024 में पहला सूर्य ग्रहण कब दिखाई पड़ेगा?
Ans 2024 में पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को दिखाई पड़ेगा।
Q. दो प्रकार के प्राकृतिक ग्रहण कौन से हैं जिन्हें पृथ्वी से देखा जा सकता है?
Ans.सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दो प्रकार के प्राकृतिक ग्रहण हैं जिन्हें पृथ्वी से देखा जा सकता है।
Q. सूर्य ग्रहण क्या है?
Ans. सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। परिणामस्वरूप, चंद्रमा सूर्य की रोशनी को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकता है और उस पर छाया डालता है। यह अमावस्या चरण के दौरान होता है। हम प्रति वर्ष अधिकतम 5 सूर्य ग्रहण देख सकते हैं।
Q.सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार कौन से हैं?
Ans.सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण।
Q.चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा की सतह तक पहुंचने से रोकती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है। यह पूर्णिमा के दिन होता है। हम प्रति वर्ष अधिकतम 3 चंद्र ग्रहण देख सकते हैं।