जन्माष्टमी 2024 (Janmashtami 2024): हमारे देश में ऐसे कई त्यौहार सेलिब्रेट किए जाते हैं, जो कुछ इलाकों तक ही सीमित रह जाते हैं। वहीं कुछ त्यौहार ऐसे हैं, जिन्हें नेशनल से लेकर इंटरनेशनल लेवल पर सेलिब्रेट किया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार कुछ ऐसा ही त्यौहार है, जिसे बहुत ही धूमधाम के साथ देश के अलग-अलग राज्यों में मनाया जाता है। हालांकि इसकी सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र राज्य में होती है वही गुजरात में भी जन्माष्टमी के मौके पर काफी ज्यादा उमंग देखने को मिलती है।
जन्माष्टमी जैसा पवित्र त्यौहार भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म से संबंधित है। यही कारण है कि इस दिन हर हिंदू धर्म का अनुयाई भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय से पहले ही जागता रहता है और उनका जन्म होने के बाद उनकी आरती करता है और एक दूसरे को प्रसाद का वितरण करके त्यौहार की खुशियां मनाता है। बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें अभी यह नहीं पता है कि आखिर जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है और जन्माष्टमी का आखिर महत्व क्या है। इसलिए हमने यह स्पेशल आर्टिकल लिखा हुआ है जिसमें आपको जन्माष्टमी त्योहार से संबंधित महत्वपूर्ण इनफॉरमेशन हम दे रहे हैं।
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Overview Of Janmashtami 2024
आर्टिकल का नाम | जन्माष्टमी कब है |
उद्देश्य | जन्माष्टमी की जानकारी देना |
संबंधित भगवान | भगवान श्री कृष्णा |
संबंधित धर्म | हिंदू धर्म |
भाषा | हिंदी |
2024 में जन्माष्टमी कब है (when is janmashtami in 2024)
हर साल हम सबके प्यारे कृष्ण कन्हैया के जन्मदिन की तारीख में बदलाव होता रहता है। हालांकि इनका जन्मदिन भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। साल 2024 के बारे में बात करें, तो अगस्त के महीने में 26 तारीख को सुबह 3:41 से जन्माष्टमी का पर्व शुरू हो जाएगा और इसकी समाप्ति 27 अगस्त को सुबह 2:21 पर होगी। इस प्रकार से जन्माष्टमी का त्योहार देश और दुनिया भर में 26 अगस्त को ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।
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जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है (why we celebrate janmashtami)
श्री हरिनारायण अर्थात भगवान विष्णु के आठवें अवतार के तौर पर श्री कृष्ण भगवान जाने जाते हैं और जन्माष्टमी का त्यौहार भी उनके जन्मदिन के उपलक्ष में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से उनकी पूजा होती है। जन्माष्टमी का त्योहार हर साल कृष्ण पक्ष की अष्टमी या फिर भाद्रपद महीने के आठवें दिन को आता है। जानकारी के अनुसार श्री कृष्ण जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा के एक कालकोठरी में हुआ था। श्री कृष्णा जब पैदा हुए, तब अर्धरात्रि का समय हुआ था। इसलिए परंपरा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की पूजा निशिता काल में होती है, जो की अर्धरात्रि के आसपास होती है।
जन्माष्टमी का महत्व (krishna janmashtami significance)
बड़े-बड़े ज्ञानी विद्वानों के द्वारा जन्माष्टमी का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, जन्माष्टमी के मौके पर जो कोई भक्त पूरी श्रद्धा भाव से भगवान श्री कृष्ण जी की आराधना करता है, उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और जो व्यक्ति जन्माष्टमी के दिन अपनी किसी इच्छा को लेकर व्रत रखता है, तो उसकी इच्छा भी अवश्य ही निश्चित समय में पूरी हो जाती है।
श्री कृष्ण ही वह व्यक्ति है, जिन्होंने जन्म और मरण से संबंधित उपदेश गीता में दिए थे। ऐसे में यह भी माना जाता है कि, श्री कृष्ण की आराधना करने से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी के मौके पर लोगों के द्वारा बांसुरी, कामधेनु गाय और चंदन की खरीददारी की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इनकी खरीददारी करने से जीवन में आर्थिक तरक्की होती है और समाज में मान सम्मान भी बढ़ता है।
जन्माष्टमी की कहानी।story of janmashtami
श्री कृष्ण का जन्म देवकी और वासुदेव के घर हुआ था, लेकिन उनका पालन-पोषण वृंदावन में यशोदा और नंद ने किया। यह दिव्य त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जब अंधेरे पखवाड़े का आठवां दिन आता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था, जहाँ उनकी माँ देवकी और पिता वासुदेव अत्यंत कठिन परिस्थितियों में कैद थे। कंस, जो अत्याचारी था, को एक आकाशवाणी ने चेतावनी दी थी कि उसका एक बच्चा उसे मार डालेगा। इस खौफ के कारण कंस ने देवकी को मारने का मन बना लिया ताकि वह किसी भी संतान को जन्म न दे सके।
लेकिन वासुदेव की विनती ने कंस को देवकी को जान से मारने से रोका। वासुदेव ने कंस से वादा किया कि वह उसका कोई भी बच्चा कंस को दे देंगे। इस आश्वासन पर कंस ने देवकी को छोडऩे का निर्णय लिया, लेकिन वासुदेव और देवकी को मथुरा के कारागार में ही बंद कर दिया। कंस ने हर संभव प्रयास किया कि भगवान कृष्ण की कोई भी संतान जीवित न रहे।
इस कठिन समय में, भगवान कृष्ण की रक्षा के लिए यशोदा और नंद ने उन्हें गोद लिया और अपने माता-पिता की तरह उन्हें प्यार और सुरक्षा दी। उनकी ममता और निष्ठा ने भगवान कृष्ण को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान किया, और इसी प्रकार श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाओं के माध्यम से संसार को प्रेम और सच्चाई का मार्ग दिखाया।
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कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि (krishna janmashtami puja vidhi)
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि निम्नानुसार है।
1: सबसे पहले आपको एक लाल कपड़ा लकड़ी की चौकी पर बिछा लेना है और उस पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या फिर फोटो को स्थापित करना है।
2: इसके बाद दीपक जलाना है और धूपबत्ती भी जला लेना है।
3: इसके बाद आपको श्री कृष्ण भगवान से प्रार्थना करनी है कि हे महाराज कृपया पधारिए और हमारी पूजा ग्रहण कीजिए।
4: अब आपको कृष्ण भगवान को पंचामृत (दूध,दही,शहद,घी,मिश्री) से स्नान करवाना है और उसके बाद गंगाजल से नहलाना है।
5: इसके बाद भगवान को कपड़े पहनाना है और उनका श्रृंगार करना है और उन्हें जलाया हुआ दीपक दिखाना है और धूप बत्ती भी दिखाना है।
6: अब भगवान को चंदन या रोली का तिलक लगाकर आपको चावल भी तिलक के तौर पर लगाना है।
7: इसके बाद जो प्रसाद है, उसे आपको चढ़ाना है और साथ ही एक साथ गिलास में आपको पीने के लिए थोड़ा गंगाजल भगवान की मूर्ति के सामने रखना है।
8: अब आपको दोनों हाथ जोड़कर आपके मन की जो भी मनोकामना है, उसे बताना है और कृष्ण जी को प्रणाम करके आसान से उठ जाना है।
जन्माष्टमी पूजा सामग्री (janmashtami puja samagri)
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में निम्न चीजों की आवश्यकता होती है।
- रोली
- अक्षत
- कुमकुम
- धूपबत्ती
- अगरबत्ती
- कपूर
- गंगाजल
- प्रसाद
जन्माष्टमी व्रत के नियम (janmashtami fast rules)
जन्माष्टमी के व्रत के नियम की जानकारी आगे हमने दी है।
- जन्माष्टमी का त्योहार शुरू होने के लगभग दो दिन पहले से ही आपको सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- आपको त्यौहार के मौके पर दारू और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जन्माष्टमी के त्योहार से एक दिन पहले ही ब्रह्मचर्य का पालन पति और पत्नी को करना चाहिए।
- इस त्यौहार के मौके पर किसी भी बच्चे को नाराज करने से बचना चाहिए।
- जन्माष्टमी पर वृद्ध लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- जन्माष्टमी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
- जन्माष्टमी के दिन गाय की पूजा होती है। इसलिए इस दिन गाय को नहीं सताना चाहिए।
जन्माष्टमी व्रत विधि (janmashtami vrat vidhi)
जन्माष्टमी का त्योहार रात के 12:00 के बाद मनाया जाता है, क्योंकि 12:00 के बाद अगला दिन चालू हो जाता है। ऐसे में जैसे कि अगर 28 तारीख को जन्माष्टमी है, तो आपको 27 तारीख की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना है और उसके बाद आपको अपने घर की देवी देवताओं की पूजा वैसे ही करनी है जैसे आप रेगुलर करते हैं और आपको सबसे आखिरी में हाथ जोड़कर श्री कृष्ण भगवान से आपकी जो भी मनोकामना है, उसे पूरी करने की अरदास लगानी है।
इसके बाद आपको दिन भर भूखे पेट रहना है। आप चाहे तो फल का सेवन कर सकते हैं। रात में 12:00 बज जाने के बाद जब अगला दिन आ जाए तब आपको कृष्ण भगवान को प्रसाद अर्पित करना है, उनकी आरती उतारनी है और उन्हें झूला झूलाना है तथा आखिर में फल का सेवन करके या पानी का सेवन करके अपना व्रत तोड़ना है।
व्रत का संकल्प कैसे करें? (Janmashtami Vrat Sankalp)
जन्माष्टमी व्रत का संकल्प करने के लिए स्नान करने के बाद आपको घर के मंदिर के सामने बैठना है और अपने दाहिने हाथ में आपको गंगाजल लेना है तथा थोड़े से चावल और हल्दी लेनी है और अपनी मुट्ठी को बंद कर लेना है। इसके बाद आपको मन ही मन श्री कृष्ण भगवान से आपकी जो भी मनोकामना है, उसे पूरा करने की विनती करनी है। अपनी मनोकामना मन में बोलने के बाद आपको हाथ में लिया हुआ सारा सामान धरती माता को समर्पित कर देना है और इसके बाद आपको व्रत शुरू कर देना है।
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श्री कृष्ण के शक्तिशाली मंत्र (Powerful Shree Krishna Mantra)
भगवान श्री कृष्ण के कुछ पावरफुल मंत्र इस प्रकार है।
- ‘ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।’
- ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।’
- ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।’
कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान (Janmashtami Ritual)
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि देश में कई राज्य हैं, जहां पर अपने-अपने तरीके से लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं। बहुत से लोग इस दिन कृष्ण जी के नाम का बर्थडे केक काटकर उनका जन्मदिन मनाते हैं तो बहुत से लोग इनकी विशेष पूजा करके इनका जन्मदिन मनाते हैं।
वही मुख्य तौर पर देश भर में बड़े पैमाने पर मटकी फोड़ कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दिन ऊंचाई पर मटकी बांधी जाती है जिसमें कुछ पैसे और दही तथा अन्य सुगंधित चीज डाली जाती है और फिर मानव पिरामिड बनाकर मटकी को फोड़ने की कोशिश की जाती है, जिसे देखने के लिए बहुत से लोगों की भीड़ आसपास इकट्ठा रहती है।
Conclusion:
Janmashtami 2024 date in India की बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी हमने पोस्ट में आपके सामने उपलब्ध करवा दी है और हम उम्मीद करते हैं कि, जानकारी से आप संतुष्ट होंगे और कोई जानकारी यदि आपको प्राप्त करनी है, तो हमारे कमेंट बॉक्स में आप अपना सवाल पूछ ले, जिसका जवाब हम देंगे। अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट योजना दर्पण पर रेगुलर विजिट करते रहे। धन्यवाद!
FAQ:
Q: जन्माष्टमी कौन से धर्म से संबंधित पर्व है?
Ans: जन्माष्टमी हिंदू धर्म से संबंधित त्यौहार है।
Q: जन्माष्टमी के दिन किसकी पूजा होती है?
Ans: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती है।
Q: जन्माष्टमी 2024 में कब है?
Ans: 26 अगस्त को 2024 में जन्माष्टमी है।
Q: मटकी फोड़ का कार्यक्रम कौन से त्यौहार में होता है?
Ans: मटकी फोड़ का कार्यक्रम जन्माष्टमी के त्यौहार में ही होता है।
Q: वृंदावन मथुरा में जन्माष्टमी कब की है?
Ans: मथुरा वृंदावन में 26 अगस्त को जन्माष्टमी है।