Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति हिंदुओं का एक पवित्र त्यौहार हैं। प्रत्येक साल Makar Sankranti 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता हैं। भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कई नाम से जाना जाता हैं। पंजाब, जम्मू-कश्मीर में इसे ‘लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति ‘पोंगल’ के तौर पर मनाई जाती है। जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में “खिचड़ी” के नाम से मनाई जाती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) मनाने की रीति रिवाज और परंपरा अलग-अलग हैं। मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान कर दान, जप, तप और श्राद्ध कर्म जैसे कार्य करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, दही चूड़ा और तिल के लड्डू खाने की परंपरा हैं, इसका सेवन करने से सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं और भगवान सूर्य (Lord Sun) देवता की कृपा आपको प्राप्त होगी। जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरता हैं, उसी दिन को Makar Sankranti कहा जाता है। यह उत्तरायण पर्व नाम से जाना जाता हैं।
ऐसे में 2024 में मकर संक्रांति कब मनाया जाएगा? शुभ मुहूर्त क्या होगा? जैसे सवाल आपके मन में आ रहे होंगे उन सभी सवालों के जवाब आज के लेख Makar Sankranti 2024 के माध्यम से आपको प्रदान करेंगे आर्टिकल पर बने रहिएगा चलिए जानते हैं:-
मकर संक्रांति कब है? Makar Sankranti 2024
मकर संक्रांति कब है? ये सवाल हर किसी के मन में है। साल 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि (Sagittarius) से निकल कर मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, तभी मकर (Makar Sankranti) संक्रांति मनाई जाती हैं।
मकर संक्रांति कब है? Makar Sankranti Kab Hai
सनातन धर्म में मकर संक्रांति त्योहार का विशेष महत्व जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति मनाई जाती हैं। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है ‘लेकिन 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? Why Makar Sankranti is Celebrated
मकर संक्रांति का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। यह हिंदू कैलेंडर में एक विशिष्ट सौर दिन को भी संदर्भित करता है।मकर संक्रांति के अवसर पर लोग विभिन्न रूपों में सूर्य देव की पूजा करके वर्ष भर भारत के लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इस अवधि के दौरान कोई भी पुण्य कार्य या दान अधिक फलदायी होता है। इस शुभ दिन पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जो सर्दियों के महीनों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य अपनी उत्तर दिशा या उत्तरायण यात्रा शुरू करता है। इसलिए इस पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देशभर के किसान अच्छी फसल की कामना करते हैं। भारत में मकर संक्रांति विभिन्न नाम और अलग रीति रिवाज के साथ मनाया जाता हैं।
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मकर संक्रांति के बारे में हिंदी में (About Sankranti in Hindi)
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) संक्रांति का त्योहार, सूर्य के उत्तरायन (Uttarayan Parv) होने के अवसर पर मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) प्रत्येक साल 14 जनवरी को मनाया जाता हैं। परंतु 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) एक ऐसा त्यौहार है’ जिसे भारत भर में अलग-अलग नाम और रीति-रिवाजों के साथ भी मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का त्यौहार कब मनाया जाता है?
Makar Sankranti Kab Manaya Jata Hai:- मकर संक्रांति प्रत्येक साल 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता हैं। सूर्य जब उत्तरायण होता हैं तभी मकर संक्रांति मनाई जाती हैं। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होता है, लेकिन मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर जाना शुरु करता हैं। जिससे उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। ध्यान देने वाली बात की दुनिया के 90% से अधिक आबादी उत्तरी गोलार्ध में रहती है। अतः मकर संक्रांति पर्व न केवल भारत के लिए बल्कि लगभग पूरे मानव जाति के लिए उल्लास का दिन है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपना शरीर उत्तरायण के के समय त्यागता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी यही कारण है सूर्य के उत्तरायण को संसार में मोक्ष प्राप्त का मार्ग भी बताया जाता है।
मकर संक्रांति कहाँ मनाया जाता है?
Makar Sankranti 2024 :- मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। भारत में इस त्यौहार को अलग-अलग नाम और रीति रिवाज के साथ मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति का त्यौहार Uttar Pradesh, Madhya Pradesh और Bihar में संकरात या खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन चावल और मूंग दाल की खिचड़ी बनाने की परंपरा हैं। Gujarat में इसे Uttarayan के नाम से मनाया जाता है। Rajasthan के कुछ भागों में भी यह Uttarayan के नाम जाना जाता हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं’ जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल में मकर संक्रांति को माघे-संक्रांति (माघे-संक्रान्ति), सूर्योत्तरायण के रूप में मनाया जाता हैं।
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मकर संक्रांति का भौगोलिक महत्व
मकर संक्रांति की घटना भौगोलिक स्थिति में बदलाव के फल स्वरुप घटित होती हैं। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है तभी मकर संक्रांति मनाया जाता है। मकर संक्रांति संबंधित कई प्रकार की पौरारिक और धार्मिक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है शास्त्रों के अनुसार देवताओं के दिन की गणना मकर संक्रांति के दिन से ही शुरू हो जाती हैं। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है। दक्षिणायन को नकारात्मक और उत्तरायण को सकारात्मक का प्रतीक माना गया है। भगवत गीता के अध्याय 8 में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि’ उत्तरायण के दौरान देह त्याग करने वाले व्यक्ति को ब्रह्म गति प्राप्त होते हैं’ जबकि दक्षिणायन में देह त्याग करने वाले व्यक्ति संसार में वापिस आकर जन्म मृत्यु के मोह माया में फंस जाते हैं। यही कारण था कि भीष्म पितामह महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद अपने प्राण मकर संक्रांति के दिन त्यागे थे मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
मकर संक्रांति त्यौहार कैसे मनाते है?
Makar Sankranti Kaise Manate Hai? मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर आप अगर नदी में जाकर स्नान करेंगे तो आपको मकर संक्रांति का विशेष पुण्य प्राप्त होगा। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन घर की महिलाएं तिल गुड़ मिलाकर लड्डू और तिल के अन्य पकवान भी बनाती है’ जिसे परिवार और करीबी लोगों के बीच बांटा जाता हैं। मकर संक्रांति के दिन पतंग प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती हैं। जहां पर बच्चे नौजवान सभी लोग सम्मिलित होकर मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू धर्म शास्त्र में इस बात का उल्लेख है कि’ मकर संक्रांति के दिन यदि आप गंगा स्नान करते हैं तो’ आपके सभी पाप धुल जाएंगे । भारत के विभिन्न जगहों पर मकर संक्रांति से संबंधित मेले आयोजित किए जाते हैं। उनमें से गंगासागर मेला काफी मशहूर है। जिसमें लाखों की संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं। Makar Sankranti के दिन तिल से बनी वस्तुओं का दान करना काफी शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन आप गरीब और जरूरतमंद लोगों को कंबल भी दान कर सकते हैं। घी,गुड, खिचड़ी का दान करने का विशेष महत्व बताया गया है ‘ ऐसा करना शुभ माना जाता हैं।
मकर संक्रांति उत्सव | Makar Sankranti Celebration
देश के अलग-अलग हिस्से इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाते ( Celebrate) हैं और अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। साथ ही हर क्षेत्र का रिवाज अलग-अलग होता है और हर क्षेत्र इसे अपने-अपने रीति-रिवाजों के साथ मनाता है लेकिन त्योहार का अंतिम उद्देश्य पूरे देश में एक ही है जो समृद्धि, एकजुटता और खुशी फैलाना है। मकर संक्रांति एकजुटता और व्यंजनों का त्योहार है। इस त्यौहार का मुख्य व्यंजन तिल और गुड़ से बना व्यंजन है जो त्यौहार में चार चांद लगा देता है। पतंग उड़ाना भी त्योहार का एक बड़ा हिस्सा है, मकर संक्रांति त्योहार के दौरान पूरा परिवार पतंग उड़ाने का आनंद लेता है और उस समय आकाश बहुत सारी रंगीन और विभिन्न डिज़ाइन वाली पतंगों से भर जाता है।मकर संक्रांति पर दान त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जरूरतमंदों और गरीबों को गेहूं, चावल और मिठाई दान करना त्योहार का हिस्सा है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे दिल से दान करता है तो भगवान उसके जीवन में समृद्धि और खुशियां लाते हैं और व्यक्ति के जीवन से हर कठिनाई को दूर कर देते हैं।
मकर संक्रांति की कहानी | Makar Sankranti Story
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है उससे संबंधित चार प्रकार की कहानी अधिक प्रचलित है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं-
देवताओं का दिन-
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता हैं। इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता हैं। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता हैं। शास्त्रों में उत्तरायण के समय देवताओं का दिन और दक्षिणायन के समय देवताओं का रात होता है’ इसका उल्लेख किया गया है. इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है. पौराणिक कथा कहती है कि ये तिथि उत्तरायण की तिथि होती है |
भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह–
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपना शरीर मकर संक्रांति के दिन त्यागा था। ऐसा कहा जाता है कि उत्तरायण में देह त्यागने वाली आत्माएं कुछ पल के लिए देवलोक चली जाती हैं या फिर उन्हें पुनर्जन्म के चक्कर से छुटकारा मिल जाता हैं।
सागर में जाकर मिली थी गंगा–
मकर संक्रांति के दिन गंगा जी भागीरथी के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जहां मिली थी इसी दिन महाराज भागीरथी ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर मेला का आयोजन किया जाता है जहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं।
पिता-पुत्र का मिलन–
मकर संक्रांति का त्योहार इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में 1 महीने के लिए प्रवेश करते हैं ताकि उनका उनका मिलन अपने पुत्र शनि से हो सके।
मकर संक्रांति की कहानी PDF Download
FAQ’s: Makar Sankranti Kab Hai 2024
Q.मकर संक्रांति सन 2024 में कब है ?
Ans : मकर संक्रांति का त्योहार 2024 में 15 जनवरी सोमवार को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा।
Q : मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 2024 क्या है ?
Ans : मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 2024 में दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक निर्धारित किया गया हैं।
Q : भारत में पतंगों से कौन सा त्यौहारज जुड़ा हुआ है?
Ans. भारत में पतंग उत्सव का संबंध मकर संक्रांति उत्सव से है। गुजरात में मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता हैं।
Q : मकर संक्रांति में किसकी पूजा की जाती है?
Ans : मकर संक्रांति में भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती हैं।
Q : मकर संक्रांति को महाराष्ट्र में क्या कहते हैं?
Ans : मकर संक्रांति के महाराष्ट्र में मकर संक्रांति कहते हैं।