Narak Chaudas 2024 | नरक चौदस कब है 2024: Significance, Puja Vidhi, Katha

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नरक चौदस कब है 2024 (Narak Chaudas 2024): नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली, काली चौदस या नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले और धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है ताकि अकाल मृत्यु, दुर्घटना और बुरी शक्तियों से बचा जा सके। 

नरक चौदस का पौराणिक महत्व भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है, जिन्होंने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और 16,000 कन्याओं को उसके बंधन से मुक्त कराया था। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।देश के विभिन्न हिस्सों में इस दिन को अलग-अलग रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। महिलाएं अपने सौंदर्य को निखारने के लिए उबटन लगाती हैं, जबकि पुरुष तेल स्नान कर दिन की शुरुआत करते हैं। 

नरक चतुर्दशी 2024 में भी लोगों द्वारा हर्षोल्लास और आस्था के साथ मनाई जाएगी, जिसमें स्वास्थ्य, समृद्धि और अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाएगी। इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाएं और रीति-रिवाज हमें अपने भीतर की नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मकता और उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक नरक चतुर्दशी मानी जाती है। चलिए इस आर्टिकल में नरक चतुर्दशी 2024 की पूरी डिटेल्स प्राप्त करते हैं, साथ ही नरक चतुर्दशी 2024 की अन्य जानकारी जैसे कि इसका महत्व, पूजा विधि, पौराणिक कथा आदि भी हासिल करते हैं। 

Overview Of Narak Chaudas 2024

आर्टिकल का नामनरक चतुर्दशी 2024 कब है
उद्देश्यनरक चतुर्दशी 2024 की जानकारी देना
संबंधित पर्वनरक चतुर्दशी
संबंधित धर्महिंदू धर्म
संबंधित तारीख31 अक्टूबर

नरक चतुर्दशी कब है 2024 (Narak Chaudas 2024) 

Narak Chaudas 2024

नरक चतुर्दशी, जिसे काली चौदस, रूप चौदस, भूत चतुर्दशी और नरक निवारण चतुर्दशी के नामों से भी जाना जाता है, हर साल विशेष श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है। 2024 में यह पावन दिन 31 अक्टूबर को गुरुवार के दिन आएगा। इस दिन को लेकर हिंदू धर्म में गहरी धार्मिक मान्यताएँ जुड़ी हैं, जिनके अनुसार इस तिथि पर विशेष पूजा-अर्चना करने से पापों से मुक्ति और सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन प्रातःकाल लोग विशेष रूप से उबटन लगाकर स्नान करते हैं, जिसे रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि उबटन लगाने से शरीर शुद्ध होता है और व्यक्ति को सौंदर्य का वरदान मिलता है। इसके साथ ही, नरक चतुर्दशी के दिन मुख्य द्वार पर दीप जलाने की परंपरा भी है। इसे शुभ संकेत माना जाता है, क्योंकि ऐसा करने से नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि का वास होता है। 

भक्तजन यमराज की पूजा कर उनसे दीर्घायु और सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं। नरक चतुर्दशी हमें यह सिखाती है कि जीवन में शारीरिक और आत्मिक शुद्धता का महत्व है और बुराई से मुक्ति पाने के लिए धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना अनिवार्य है।

नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं (Narak Chaudas 2024 Celebration) 

नरक चतुर्दशी को मनाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने भयंकर राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने देवी-देवताओं, ऋषियों, और 16 हजार राजकुमारियों को कैद कर रखा था। जब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से मदद की गुहार लगाई, तब भगवान ने नरकासुर का अंत कर उन्हें मुक्त किया। इस महान विजय की याद में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसके साथ ही, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरक निवारण चतुर्दशी पर व्रत रखने से सभी पाप मिट जाते हैं और नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य और आभा की प्राप्ति होती है। यह पर्व हमें पापों से मुक्ति, विजय और शुद्धता की ओर अग्रसर करता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaudas 2024 Significance) 

नरक चतुर्दशी अर्थात नरक चौदस हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या से ठीक एक दिन पहले आती है। हिंदू समुदाय के लोगों में नरक चतुर्दशी का काफी ज्यादा महत्व है। नरक चतुर्दशी के दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं। यम देवता की पूजा करते हैं, जिसके पीछे कारण यह दिया जाता है कि अगर इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है तो व्यक्ति की जिंदगी से अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है। और वह नरक जाने से भी बच जाता है और उसे मृत्यु के पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 

नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaudas Puja Vidhi) 

  • नरक चतुर्दशी के दिन आपको शाम के समय में नहा धोकर पीले या फिर लाल रंग के कपड़े पहन लेने है। 
  • अब आपको अपने घर के मंदिर में जाना है और अगरबत्ती जलाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी है और भोग में उन्हें मिठाई अर्पित करनी है। आप चाहे तो सूजी का हलवा भी अर्पित कर सकते हैं।
  • इसके बाद आपको घर के मुख्य दरवाजे पर सरसों के तेल का दीपक जलाना है।
  • दीपक जलाने के बाद वापस से आपको अपने घर के मंदिर में आना है और भगवान श्री कृष्ण से हाथ जोड़कर अपने और अपने परिवार के साथ समस्त विश्व के कल्याण की प्रार्थना करनी है।
  • अब आपको तिल के तेल का दीपक जलाना है। यह दीपक यमराज देवता के नाम पर रहेगा। इस दीपक को आपको किसी पीपल के पेड़ के जड़ के पास जलाना है। 
  • दीपक जलाने के बाद आपको हाथ जोड़कर यमराज देवता से अपने स्वास्थ्य की कामना करनी है।
  • ऐसा कहते हैं कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर दूर होता है। 

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaudas Katha) 

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा अत्यंत प्रेरणादायक और धार्मिक महत्व की है। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण और नरकासुर के बीच के युद्ध से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि नरकासुर, जो एक अत्याचारी राक्षस था, ने अपनी शक्ति के बल पर स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में आतंक मचाया हुआ था। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंदी बना लिया था और स्वर्ग के देवताओं के अमूल्य आभूषण छीन लिए थे। उसकी अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवता भगवान श्रीकृष्ण के पास सहायता के लिए पहुंचे।

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर के अत्याचार का अंत करने का निश्चय किया। सत्यभामा के आशीर्वाद से श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और 16,000 कन्याओं को मुक्त करवाया। ऐसा कहा जाता है कि नरकासुर को श्रीकृष्ण के हाथों मरने का वरदान मिला था, जिससे उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। नरकासुर की मृत्यु के साथ ही अंधकार और बुराई का अंत हुआ, और धरती पर शांति और समृद्धि की स्थापना हुई।

नरक चतुर्दशी को इस पावन विजय की याद में मनाया जाता है, जिसे ‘असत्य पर सत्य की जीत’ और ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ के रूप में देखा जाता है। इस दिन दीप जलाकर भगवान श्रीकृष्ण को धन्यवाद दिया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि वे हमें भी बुराई से मुक्त करें और सच्चाई के मार्ग पर चलने का आशीर्वाद दें।

Conclusion

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FAQ‘s

1. नरक चतुर्दशी 2024 कब मनाई जाएगी?

नरक चतुर्दशी 2024 में 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह दीपावली उत्सव के दौरान आने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।

2. नरक चतुर्दशी का महत्व क्या है?

नरक चतुर्दशी का प्रमुख महत्व बुराई पर अच्छाई की विजय से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। इस दिन को आत्म-शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन विशेष स्नान (अभ्यंग स्नान) कर बुरे कर्मों और नकारात्मकता से मुक्ति की कामना करते हैं।

3. नरक चतुर्दशी पर कौन से विशेष रीति-रिवाज होते हैं?

नरक चतुर्दशी पर निम्नलिखित प्रमुख रीति-रिवाज निभाए जाते हैं:

  • अभ्यंग स्नान:
    इस दिन सूर्योदय से पहले तेल मालिश कर स्नान करना शुभ माना जाता है। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है, जो शरीर को शुद्ध करने और बुरी आत्माओं से रक्षा के लिए किया जाता है।
  • दीप जलाना:
    नरक चतुर्दशी की शाम को घर के मुख्य दरवाजे पर दीप जलाया जाता है। यह दीया नरकासुर के वध की खुशी और प्रकाश का प्रतीक है।
  • भोग:
    इस दिन भगवान कृष्ण और यमराज को विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें मिठाई और व्यंजन शामिल होते हैं।

4. नरक चतुर्दशी और दीपावली में क्या अंतर है?

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, जो दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। हालाँकि दोनों पर्वों में खुशियों का वातावरण होता है, दीपावली धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जबकि नरक चतुर्दशी आत्म-शुद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति का दिन है।

5. नरक चतुर्दशी पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • सूर्योदय से पहले स्नान करना आवश्यक होता है, ताकि दिन शुभ रहे।
  • घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह दिन शुद्धि से जुड़ा है।
  • इस दिन क्रोध, घमंड, और बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए।

6. नरक चतुर्दशी के दिन कौन से खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं?

नरक चतुर्दशी के अवसर पर कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें पूरी, हलवा, चिवड़ा, और मिठाइयाँ विशेष रूप से शामिल हैं। यह दिन उत्सव के साथ-साथ परिवार और प्रियजनों के साथ समय बिताने का होता है, इसलिए भोजन का विशेष महत्व होता है।

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