Jameen Ka Patta : जब भी हम कभी जमीन खरीदेने या बेचने के बारे में सोचते है तो हम हमेशा रजिस्ट्री वाली जमीन को प्राथमिकता देते हैं। कई दफा हमने जमीन का पट्टा नाम को सुना होता है पर पता नहीं होता है कि ये होती क्या हैं।गौरतलब है कि किसानों और मजदूरों के लिए जमीन का मालिकाना हक़ देने के लिए जमीन का पट्टा करवाया जाता है। यह जमीन का पट्टा अलग अलग तरह का होता है। जैसे कि घर बनाने कि जमीन का पट्टा होता है, दुकान कि जमीन का पट्टा होता है, खेती करने कि जमीन का पट्टा होता है आदि। जमीन के पट्टे कि मदद से ही जमीन के निवासी का पता चलता है कि इस जमीन पर कौन रह रहा है और कितने दिन से वह इस जमीम पर रह रहा है। जमीन पट्टा पर रहने वाला व्यक्ति उस जमीन के मालिक है या नहीं इसके बारे में पता लगता है। यही कारण है जो सरकार द्वारा अपने देश में भूमिहीन नागरिको को Jameen Ka Patta देने के लिए अलग अलग योजनाए का शुभारंभ किया जाता हैं।
हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि जमीन का पट्टा क्या होता है, पट्टे वाली जमीन खरीदी जा सकती है या नहीं, जमीन पट्टे के प्रकार,जमीन पट्टा किसे और कैसे मिलता है आदि के बारे में सब कुछ बताएंगे। अगर आप जमीन पट्टे के बारे में सब कुछ जानना चाहते है तो इस लेख को आखिर तक जरुर पढ़े।
जमीन का पट्टा क्या है? Land Lease Kya Hai
जमीन का पट्टा उस जमीन को कहते है जो किसी के अधिकृत नहीं होती है यानि कि उस पर किसी का भी अधिकार नहीं होता हैं।पूरी तरह से उस जमीन पर हक सिर्फ सरकार का होता है।पट्टे वाली जमीन को किसी विशेष उद्देश्य के चलते सरकार द्वारा ही अनुदान या किराए पर दी जाती है। हम आपको बता दें कि पट्टे वाली जमीन को किराए कि जमीन भी मान सकते हैं। जमीन का पट्टा भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उन लोगों को दिया जाता है भूमि नहीं होती है जैसे कि भूमिहीन किसान,बेधर लोग आदि इस लोगों को बिना पैसे लिए किराए पर दिया जाता हैं,जिससे आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के जीवन में सुधार आ सकें। हम आपको बता दें कि एक निश्चित समय के लिए ही जमीनी पट्टा दिया जाता है।
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जमीन के पट्टे के प्रकार (Types of Land Lease)
वैसे तो जमीन के पट्टे कई प्रकार के होते है जैसे कि खुदरा जमीन का पट्टा (आबादी से दूर जमीन का पट्टा),सरकारी जमीन का पट्टा (सरकार द्वारा किया गया पट्टा), निजी जमीन का पट्टा (व्यक्ति या संस्था द्वारा जमीन का पट्टा), समुदाय जमीन का पट्टा (समुदाय द्वारा एक साथ जमीन का पट्टा) आदि पर मुख्य तौर पर ये दो प्रकार के होते हैं, जैसे कि-
- संक्रमयी भूमि
- असंक्रमयी भूमि
संक्रमयी भूमि- संक्रमयी भूमी जमीन के पट्टे का एक प्रकार है जिस पर किसी एक व्यक्ति का मालिकाना हक होता है। जैसे कि अगर किसी इंसान के पास ज्यादा जमीन है और वह उस जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे है तो किसी भूमि पट्टे के द्वारा एक निश्चित समय के लिए उस जमीन को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को को दे सकता है।लेकिन उस जमीन को बेच नहीं सकता हैं। गौरतलब है कि ऐसी जमीन को गांव और शहर में लीज़ की जमीन भी कहा जाता हैं, वहीं कुछ लोग इस एग्रीमेंट वाली जमीन कहते हैं।
असंक्रमयी भूमि – ये एक उस प्रकार कि जमीन है जिसपर किसी का भी मालिकाना हक नहीं होता है, इस जमीन पर केवल सरकार का हक होता हैं।इस जमीन का पट्टा सरकार द्वारा दिया जाता है,जो कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को सरकार द्वारा बिना किसी किराए या पैसे के दिया जाता हैं। अगर कहा जाए तो असंक्रमयी भूमि को ही असल में जमीन का पट्टा कहा जाता है और लोगों इसको लेना ज्यादा पसंद करते हैं।
किसे मिलता है जमीन का पट्टा?
जमीन का पट्टा लेने के कई जगहों पर अलग अलग तरह के नियम बनाएं गए हैं। जैसे अगर हम झारखंड कि बात करें तो एसटी/एससी( St/Sc ) को जमीन का पट्टा दिया जाता हैं। वहीं पंजाब में जमीन का पट्टा किसानों को खेती के लिए दिया जाता हैं। ध्यान रहे कि जमीन का पट्टा सिर्फ उन लोगों को दिया जाता है जिनके पास जमीन ना होना अनिवार्य हैं। वहीं जिस राज्य में जमीन का पट्टा आप ले रहे है आपका वहां का मूलनिवासी होना जरुरी हैं। वहीं बड़ी कंपनी द्वारा भी अपने उद्योग को स्थापित करने के लिए जमीन का पट्टा लिया जाता है जिसको लेकर सरकार द्वारा अलग नियम बनाएं गए हैं।
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कैसे मिलता हैं जमीन के पट्टे ?
खाली पड़ी सरकार जमीन का पट्टा किसी उद्देश्य के लिए लिया जा सकता हैं। जमीन का पट्टा लेने के लिए हमें ग्राम पंचायत या गवर्नमेंट पोर्टल पर जा कर आवेदन करना पड़ता हैं। जिस भी उद्देश्य के चलते आप जमीन का पट्टा लेना चाहते है उसके लिए आपकी योग्यता भी देखी जाती हैं। अगर दिए गए नियमों और योग्यता में आप परिपूर्ण होते है तो सरकार द्वारा उस आवेदन को स्वीकार कर लिया जाता हैं तो आपको जमीन का पट्टा दिया जा सकता हैं।
उदाहरण के लिए अगर आपको घर बनाने के लिए जमीन का पट्टा चाहिए तो उसके लिए आपको ग्राम पंचायत में खाली पड़ी जमीन के ऊपर आवेदन करना होगा। इसके बाद सरकार द्वारा नियुक्त किया गया अधिकारी ये देखेगा कि आपके पास पहले से कोई जमीन तो नहीं है क्योंकि अगर आपके पास पहले से जमीन होगी तो जमीन का पट्टा नहीं मिलेगा।अगर आप योग्यता के मापदंड में सही उतरते है तो आवासीय भूमि पट्टा के लिए आपको 300 गज जमीन का पट्टा सरकार द्वारा दे दिया जाएगा और अपना घर बना सकते हैं।
कौन सी जमीन के लिए पट्टे मिलते हैं?
गौरतलब है कि सरकार द्वारा तीन तरह के उद्देश्य से जमीन का पट्टा दिया जाता है। सबसे पहले घर बनाने के लिए, एक खेती के लिए और एक औद्योगिक स्थापित करने के लिए जनीन का पट्टा दिया जाता हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सबसे ज्यादा जमीन का पट्टा औद्योगिक कार्य स्थापित करने के लिए दिया जाता है।लेकिन कई सालों से सरकार द्वारा कृषि कार्य के लिए भी किसानों को जमीन का पट्टा दिया जाता हैं। आप जिस उद्देश्य के लिए जमीन के पट्टे के लिए आवेदन कर रहे है आपको उस जमीन का प्रयोग उसी उद्देश्य के लिए करना होगा। अगर आपने घर के लिए जमीन का पट्टा लिया है तो आप उस पर कृषि का काम नहीं कर सकते हैं। अगर कृषि के काम के लिए जमीन का पट्टा लिया है तो उस पर आप घर नहीं बना सकते है ऐसा करने पर आपकी जमीन सरकार द्वारा ले ली जाएगी।
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क्या पट्टे की जमीन को बेचा या खरीदा जा सकता है?
जब भी हम रजिस्ट्री या नौकरी वाली जमीन खरीदते हैं तब हमें लगता है कि क्या हम जमीन का पट्टा अर्थात किसी पट्टे वाले जमीन को खरीद सकते हैं। तो आपको हम बता देना चाहते हैं कि जमीन का पट्टा सरकार के द्वारा लिया जाता है। और जमीन का पट्टा सिर्फ एक काम के उद्देश्य से ही दिया जाता है, इसे खरीदा नहीं जा सकता है।
और जिस व्यक्ति को कोई सरकारी जमीन का पट्टा मिलता है तो उस पर उसका मालिकाना हक नहीं होता है। वह सिर्फ उस जमीन को निश्चित समय के लिए उपयोग में ले सकता है, और जब भी सरकार को उस जमीन की आवश्यकता पड़ेगी उस वक्त उसे सरकार को उस जमीन को सौंपना पड़ता है। इसीलिए इस जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है। भारत के संविधान के हिसाब से भी किसी भी पट्टा वाले जमीन की खरीद बिक्री को गैरकानूनी माना गया है।
भूमि पट्टा अधिनियम (Land Lease Act)
भारत के कई सारे राज्य में जमीन का पट्टा दिया जाता है जैसे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात आदि । सभी राज्यों में सरकारों के द्वारा जमीन का पट्टा देने के लिए अलग-अलग अधिनियम भी बनाए हैं। सरकार के नीति आयोग द्वारा दिए जाने वाले पट्टा प्रस्ताव के अनुसार भूमिहीन और खेती करने वाले मजदूरों को भूमि पट्टा दिया जाता है।
- जिनके पास खुद कि जमीन नहीं है और वह सरकारी जमीन पर घऱ बना कर रह रहे है तो वह 10 साल के बाद आर्टिकल 157 (2) के तहत 300 स्क्वायर फीट की जमीन फ्री में प्राप्त कर सकते हैं। आपको बता दें कि यह जमीन का पट्टा घर कि किसी महिला के नाम पर होगा।
- भूमि पट्टा अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन को किसी भी किसान को बिना किसी डर के किराए पर जमीन के पट्टा के माध्यम से दे सकता है।
- जो भी किसान पट्टे वाली भूमि पर अर्थात किराए पर खेती करके फसल उगाते हैं अगर उनकी फसल की क्षति हो जाती है तो वह सरकार द्वारा मिलने वाला मुआवजा के लाभ उठा सकते हैं।