Shardiya Navratri 2024 | नवरात्रि कब है 2024: Shubh Muhurat, Ghat Sthapan Muhurat, Puja Vidhi, Significance

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नवरात्रि कब है 2024 (Shardiya Navratri 2024):हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ नवरात्रि का इंतजार करते हैं। यह पावन पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन सबसे अधिक महत्व शारदीय नवरात्रि का होता है, जिसका भक्तजन बेसब्री से इंतजार करते हैं। शारदीय नवरात्रि का पर्व सितंबर से लेकर नवंबर के बीच आता है और इसकी शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। यह नवरात्रि देवी दुर्गा, जिन्हें आदि शक्ति माना जाता है, को समर्पित होती है। भक्तगण नवरात्रि की तैयारियाँ कई दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं, ताकि देवी की पूजा सही विधिविधान से संपन्न हो सके।

शारदीय नवरात्रि की धूम उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में देखी जाती है। इन राज्यों में नवरात्रि को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, और पंडालों की भव्यता बंगाल में विशेष रूप से अद्वितीय होती है। यहां के मूर्तिकार माता दुर्गा की सुंदर मूर्तियों का निर्माण दोतीन महीने पहले से ही शुरू कर देते हैं, ताकि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के साथसाथ गणेश जी और लक्ष्मी माता की भी स्थापना हो सके। इन तीनों देवताओं की एक साथ पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को देवीदेवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि न केवल भक्ति और आस्था का पर्व है, बल्कि यह शक्ति, धैर्य और समर्पण का भी प्रतीक है। 2024 में आने वाली शारदीय नवरात्रि के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि भक्तजन सही समय पर देवी दुर्गा की उपासना कर सकें और उनका आशीर्वाद पा सकें।

Overview Of Shardiya Navratri 2024

आर्टिकल का नामShardiya Navratri 2024
उद्देश्यशारदीय नवरात्रि की जानकारी देना
संबंधित पर्वशारदीय नवरात्रि
संबंधित देवीदुर्गा माता
संबंधित धर्मसत्य सनातन हिंदू धर्म

शारदीय नवरात्रि 2024 कब है (Shardiya Navratri 2024) 

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की पावन शुरुआत होती है। दुर्गा माता के भक्त पूरे वर्ष इस नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजाअर्चना का अवसर प्रदान करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा।

शारदीय नवरात्रि के दौरान भक्तजन नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलगअलग स्वरूपों की पूजा करते हैं। माना जाता है कि यदि पूरे विधिविधान के साथ भक्त नवरात्रि में मां की उपासना करें, तो उनकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।

यह नवरात्रि साधकों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। साधक इस अवसर पर मां की विशेष साधना और उपासना करते हैं, जिससे उन्हें सिद्धि और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त हो। देवी दुर्गा की आराधना से साधक अपने आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ते हैं और उनकी कृपा से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करते हैं। शारदीय नवरात्रि, शक्ति, भक्ति, और साधना का महान पर्व है, जो मां दुर्गा के आशीर्वाद को प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर प्रदान करता है।

शारदीय नवरात्री त्योहार क्या है (What is Shardiya Navratri Festival) 

जगत जननी आदिशक्ति माता दुर्गा की पूजा नवरात्रि में होती है। इनकी पूजा का विधान 9 दिनों का है। 9 दिनों में हर दिन अलगअलग माताजी के स्वरूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन माता जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान देश में कई राज्यों में बड़ेबड़े पंडालो में माता जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है साथ ही साथ गुजरात,राजस्थान,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में 9 दिनों तक लोगों के द्वारा गरबा किया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य में रात में जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri Kalash Sthapana Muhurat) 

इस बार नवरात्रि 3 तारीख से शुरू हो रही है। ऐसे में कलश स्थापना के लिए 3 तारीख की सुबह 11:40 से लेकर दोपहर 12:33 का मुहूर्त शुभ मुहूर्त है अर्थात दुर्गा माता के भक्तों को कलश स्थापना करने के लिए 47 मिनट का समय मिल रहा है। भक्तों से विनंती है कि वह इस शुभ मुहूर्त के दरमियान कलश की स्थापना करें। अशुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना नहीं की जाती है। 

शारदीय नवरात्रि घट स्थापना विधि (Shardiya Navratri Ghat Sthapana Vidhi) 

नवरात्रि के पहले दिन, 3 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करनी चाहिए। 

  • सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं और एक मिट्टी का मटका लें। मटके पर हल्का सा गाय का गोबर लगाएं। 
  • इसके बाद मटके के चारों तरफ रंगबिरंगे चावल सजाएं ताकि मटका सुंदर दिखे। 
  • फिर, गोबर में थोड़ीथोड़ी दूरी पर जौ के बीज लगाएं। 
  • कलश स्थापना के लिए ईशान कोण का चयन करें। 
  • पूजा की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर माता दुर्गा, गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति या फिर माता दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें।
  • तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल या ताजा पानी भरें। उसमें ₹5 के एकदो सिक्के, अक्षत, सुपारी, लौंग का जोड़ा और दुर्वा घास डालें। 
  • कलश के मुंह पर मौली धागा बांधें। 
  • नारियल लें और उस पर लाल चुनरी लपेटें। इसे मौली धागे से बांधकर कलश के ऊपर रखें। 
  • आम के पत्ते लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें। 
  • जौ वाला मटका और कलश, माता दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति के दाहिनी ओर स्थापित करें। 
  • अंत में, माता दुर्गा से पूजा स्थल पर पधारने की प्रार्थना करें। इस प्रकार घट स्थापना विधि पूर्ण होती है।

शारदीय नवरात्रि पूजा विधि (Shardiya Navratri Puja Vidhi) 

  •  सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  •  स्नान के बाद लाल रंग के कपड़े पहनें।
  •  एक आसन माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने बिछाएं और दोनों पैर मोड़कर बैठें।
  •  माता जी और अन्य देवीदेवताओं की मूर्तियों को गंगाजल से स्नान कराएं।
  •  स्नान के बाद पांच अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाएं और दुर्गा माता सहित अन्य देवीदेवताओं को दिखाएं, फिर एक तरफ रख दें।
  •  अब माता जी को कुमकुम का तिलक लगाएं और सभी देवीदेवताओं को भी तिलक लगाएं।
  •  सभी देवीदेवताओं को अक्षत चढ़ाएं।
  •  भोग लगाएं, जिसमें गुड़, मिश्री, चीनी या खीर का उपयोग कर सकते हैं।
  •  भोग के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। यदि चालीसा न आती हो तो दुर्गा जी के 108 नामों का पाठ करें।
  •  पाठ के बाद सबसे पहले गणेश जी की आरती घी का दीपक जलाकर उतारें, फिर दुर्गा जी की और अंत में माता लक्ष्मी जी की आरती उतारें।
  •  उपस्थित भक्तों को आरती दिखाएं।
  •  अंत में सभी को प्रसाद का वितरण करें।
  • इस विधि से कलश और घट स्थापना के बाद माता दुर्गा की पूजा पूरी होती है।

शारदीय नवरात्रि 2024 कैलेंडर (Shardiya Navratri 2024 Calender) 

2024 कैलेंडर में शारदीय नवरात्रि की जानकारी दी गई है। कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत अक्टूबर महीने में 3 तारीख को हो रही है। इस दिन गुरुवार का दिन पड़ रहा है और नवरात्रि का समापन अक्टूबर महीने में 12 तारीख को हो रहा है। 12 तारीख को शनिवार का दिन पड़ रहा है। 

शारदीय नवरात्रि का महत्व (Shardiya Navratri Significance) 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, साल भर में एक बार नहीं बल्कि चार बार नवरात्रि आती है, जिनमें से दो बार गुप्त नवरात्रि आती है और एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि आती है। इन सभी नवरात्रि में से सबसे ज्यादा महत्व शारदीय नवरात्रि का माना जाता है, जो की अक्टूबर से लेकर नवंबर महीने के बीच में आती है। इस नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत और झूठ पर सच की जीत से जोड़कर देखा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार दुर्गा माता का मायका धरती है। ऐसे में वह नवरात्रि में अपने मायके धरती में अपनी सभी योगिनियों और अन्य सभी शक्तियों के साथ आती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करते हैं और उनके सभी प्रकार के दुखों का नाश करती हैं। 

शारदीय दुर्गा अष्टमी कब है (Shardiya Durga Ashtami 2024) 

नवरात्रि की अष्टमी तिथि को ही शारदीय दुर्गा अष्टमी कहा जाता है। दुर्गा अष्टमी अश्विन शुक्ल की अष्टम तिथि को सेलिब्रेट की जाती है। 2014 में दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर को है। इस दिन शुक्रवार का दिन है। पंचांग पर नजर डाले तो इस साल अर्थात 2024 में महानवमी 11 अक्टूबर को है, पर नवमी का हवन 12 अक्टूबर को ही किया जाएगा। 

शारदीय दुर्गा महानवमी कब है (Shardiya Durga Maha Navami) 

विद्वान पंडितों के अनुसार 2024 में महानवमी 11 अक्टूबर को सेलिब्रेट की जाएगी पर दुर्गा माता जी की नवमी का हवन 12 अक्टूबर को किया जाएगा। शारदीय नवरात्रि में पहले दिन के साथ ही साथ अष्टमी और नवमी तिथि का सबसे ज्यादा महत्व होता है। 

Conclusion:Shardiya Navratri 2024

Shardiya Navratri 2024 in Hindi के बारे में इस आर्टिकल में आपने जानकारी हासिल की। अगर और कोई सवाल आप आर्टिकल कंटेंट से संबंधित पूछना चाहते हैं तो आप अपना सवाल पूछ सकते हैं। इसके लिए नीचे कमेंट बॉक्स दिया गया है। हमारी साइट योजना दर्पण पर और भी कई आर्टिकल मौजूद है, जिन्हें आप पढ़कर अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आपका धन्यवाद। 

FAQ‘s

1. शारदीय नवरात्रि 2024 कब है?
शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर से होगी और यह 11 अक्टूबर 2024 तक चलेगी। यह नौ दिनों का पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है, जिसमें प्रत्येक दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है।

2. शारदीय नवरात्रि का धार्मिक महत्व क्या है?
नवरात्रि का धार्मिक महत्व अत्यंत व्यापक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि के दौरान, देवी दुर्गा की नौ रूपों में पूजा की जाती है, जो शक्ति, साहस, प्रेम, ज्ञान और मुक्ति की देवी मानी जाती हैं। भक्त इस दौरान उपवास, पूजा, ध्यान और कीर्तन करते हैं ताकि वे देवी की कृपा प्राप्त कर सकें।

3. शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में किस देवी की पूजा होती है?
प्रत्येक दिन एक विशेष देवी की पूजा होती है:

  • पहला दिन: शैलपुत्री
  • दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी
  • तीसरा दिन: चंद्रघंटा
  • चौथा दिन: कूष्मांडा
  • पांचवा दिन: स्कंदमाता
  • छठा दिन: कात्यायनी
  • सातवां दिन: कालरात्रि
  • आठवां दिन: महागौरी
  • नौवां दिन: सिद्धिदात्री

4. शारदीय नवरात्रि में उपवास कैसे रखा जाता है?
नवरात्रि में उपवास के अलग-अलग तरीके होते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं, जबकि कुछ लोग पहले और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान फलों का सेवन, दूध, सिंघाड़े का आटा, और सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है। इस दौरान अनाज और तामसिक भोजन से बचा जाता है।

5. क्या शारदीय नवरात्रि और वासंतिक नवरात्रि में कोई अंतर है?
हाँ, शारदीय नवरात्रि और वासंतिक नवरात्रि में अंतर उनके समय और महत्व का होता है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास में आती है और इसे दुर्गा पूजा के रूप में भी जाना जाता है, जबकि वासंतिक नवरात्रि चैत्र मास में आती है और इसे राम नवमी से जोड़ा जाता है। दोनों ही नवरात्रि पर्व माता दुर्गा के प्रति भक्तिभाव और पूजा-अर्चना के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

6. नवरात्रि के दौरान क्या खास कार्य किए जाते हैं?
नवरात्रि के दौरान भक्त माता दुर्गा के मंत्रों का जाप, दुर्गा सप्तशती का पाठ, कीर्तन, जागरण, और गरबा-डांडिया का आयोजन करते हैं। इसके साथ ही दुर्गा पूजा पंडालों की सजावट और देवी की प्रतिमा की स्थापना भी की जाती है।

7. क्या नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है?
हां, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इसे घट स्थापना भी कहा जाता है। कलश स्थापना को समृद्धि, सुख-शांति और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है।

8. शारदीय नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया क्यों खेले जाते हैं?
गरबा और डांडिया नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की आराधना के रूप में खेले जाने वाले पारंपरिक नृत्य हैं। गरबा नृत्य के माध्यम से जीवन का उत्सव मनाया जाता है, जबकि डांडिया देवी और महिषासुर के बीच हुए युद्ध का प्रतीक है। यह नृत्य सामूहिक उत्साह और भक्ति का प्रतीक होते हैं।

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