करवा चौथ पूजन विधि सामग्री | karwa Chauth Puja Vidhi and Samagri: करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है, जो पति-पत्नी के अटूट प्रेम, समर्पण और सम्मान का प्रतीक है। यह व्रत न केवल विवाहित जीवन में प्रेम और सौहार्द को बढ़ाता है, बल्कि पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से भी जुड़ा हुआ है। करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं, और इसकी तैयारी पहले से ही कर लेती हैं ताकि शुभ मुहूर्त में व्रत और पूजा विधि का संपादन हो सके।करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसका समापन चंद्रोदय के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करके होता है। महिलाएं इस व्रत को अपार श्रद्धा और समर्पण के साथ करती हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां और समृद्धि बनी रहती हैं।
2024 में करवा चौथ का पावन दिन निकट है, और महिलाएं इस पवित्र व्रत को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए पूजन विधि और आवश्यक सामग्री की जानकारी प्राप्त करना चाहती हैं। इस व्रत की पूजा विधि के अंतर्गत करवा माता और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत पूजा होती है, और इसके लिए विभिन्न सामग्रियों का उपयोग होता है। आज के हमारे इस लेख में हम आपको करवा चौथ के शुभ मुहूर्त,पूजा सामग्री, 16 श्रृंगार सामग्री, करवा चौथ थाली, संध्या पूजा विधि, मंत्र आदि के बारे में बताएंगे,तो चलिए जानते है…
Overview Of karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri
आर्टिकल का नाम | करवा चौथ पूजा विधि और सामग्री |
उद्देश्य | करवा चौथ पूजा विधि और सामग्री की जानकारी प्रदान करना |
संबंधित पर्व | करवा चौथ |
संबंधित धर्म | हिंदू धर्म |
संबंधित तारीख | 20 अक्टूबर 2024 |
करवा चौथ शुभ मूहुर्त (Karwa Chauth Shubh Muhurat)
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2024 में 20 अक्टूबर को मनाया जाने वाला करवा चौथ का शुभ मुहूर्त इस बार 1 घंटा और 16 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5:40 से शुरू हो जाएगा और यह 7:02 तक रहेगा। चंद्रमा के निकलने का टाइम 2024 में शाम को 7:54 का है। सुहागिन महिलाएं इस समय से चंद्रमा को अर्घ्य दे सकती हैं। इसके पश्चात वह करवा चौथ के व्रत का पारण कर सकती हैं और अपने व्रत को पूरा कर सकती हैं। करवा चौथ के व्रत के दिन इस बार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में रहने वाला है।
करवा चौथ पूजा सामग्री (karwa Chauth Puja Samagri list)
करवा चौथ की पूजा में नीचे बताई गई सामग्रियों की आवश्यकता होती है, इसलिए इनका प्रबंध पहले ही कर लेना चाहिए।
- मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन
- पान
- सींक
- कलश
- अक्षत
- चंदन
- फल
- पीली मिट्टी
- फूल
- हल्दी
- लकड़ी का आशन
- देसी घी
- कच्चा
- दूध
- दही
- शहद
- शक्कर का बूरा
- रोली
- मौली
- मिठाई
- चलनी या छलनी आदि।
सोलह श्रृंगार की सामग्रियां (Karwa Chauth 16 Shringar)
करवा चौथ के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार तो करती ही है साथ ही माता पार्वती को भी उनके द्वारा सोलह श्रृंगार से संबंधित चीजे अर्पित की जाती हैं, जिसके पीछे मान्यता है की पार्वती माता खुश होती हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। 16 श्रृंगार से संबंधित सामग्रियां निम्नानुसार हैं।
- सिंदूर
- बिंदी
- कमरबंध
- काजल
- मेहंदी
- गजरा
- मांगटीका
- नथ
- कान के गहने
- पायल
- गले का हार (मंगलसूत्र)
- बाजूबंद
- चूड़ियां
- अंगूठी
- बिछिया
- स्नान
करवा चौथ की थाली (Karwa Chauth Thali)
करवा चौथ की थाली में निम्न चीजों को रखा जाता है।
- चंदन
- शहद
- अगरबत्ती
- पुष्प
- कच्चा दूध
- शक्कर
- शुद्ध घी
- दही
- मिठाई
- गंगाजल
- कुमकुम
- अक्षत (चावल)
- मेहंदी
- महावर
- कंघा
- बिंदी
- चुनरी
- चूड़ी
- बिछुआ
- मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन
- दीपक
- रुई
- कपूर
- गेहूं
- शक्कर का बूरा
- हल्दी
- पानी का लोटा
- गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
- लकड़ी का आसन
- चलनी
- आठ पूरियों की अठावरी
- हलवा
- दान के लिए पैसे, इत्यादि
करवा चौथ व्रत की संध्या पूजा विधि (Karwa Chauth Evening Puja Vidhi)
करवा चौथ व्रत के दिन शाम के समय की जाने वाली पूजा में आप निम्न विधि से पूजा कर सकते हैं।
- करवा चौथ के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आपको स्नान कर लेना है और उसके बाद आपको व्रत का संकल्प लेकर निर्जला व्रत शुरू कर देना है। संकल्प हाथ में चावल और गंगाजल लेकर करते हैं। मन ही मन व्रत करने का उद्देश्य बोलकर आपको हाथ के चावल और पानी को जमीन में छोड़ देना होता है।
- संध्या काल के समय में आपको एक मिट्टी का बरतन लेना होता है और इसमें वेदी बनाकर आपको शिव परिवार की स्थापना करनी होती है। शिव परिवार अर्थात भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की स्थापना।
- अब आपको एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली और सिंदूर रखना है और थाली में ही घी का दीपक जला लेना है।
- इसके बाद आपको चंद्रमा निकलने से पहले ही पूजा की पूरी तैयारी कर लेनी है।
- चंद्रमा निकलने के पश्चात आपको करवा चौथ की कथा का पाठ करना है। करवा चौथ की कथा आपको इंटरनेट से मिल जाएगी या आप पहले से ही करवा चौथ की कथा की किताब खरीद कर लाकर रख लें।
- पाठ पूरा करने के बाद आपको चंद्रमा को छलनी के द्वारा देखना है और अर्घ्य देना है।
- इसके बाद आपको अपने पति को भी छलनी के माध्यम से देखना है और पूजा की थाली के द्वारा उनकी आरती उतारनी है।
- इसके बाद आपके पति अपने हाथों से आपको पानी पिलाएंगे। ऐसा करने से आपका व्रत पूरा हो जाता है।
- व्रत पूरा होने के बाद आप फलाहार कर सकती हैं या फिर सात्विक भोजन ग्रहण कर सकती हैं।
करवा चौथ मंत्र (Karwa Chauth Mantra)
करवा चौथ मंत्र इस प्रकार है।
- ॐ शिवायै नमः मंत्र के द्वारा पार्वती माता का पूजन करें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करें।
- ॐ षण्मुखाय नमः से कार्तिकेय भगवान की पूजा करें।
- ॐ गणेशाय नमः से गणेश जी की पूजा की जाती है।
- ॐ सोमाय नमः से चंद्र देवता की पूजा करें।
- ॐ चतुर्थी देव्यै नम: मंत्र से करवा माता की पूजा करें।
ऐसे दें चंद्रमा को अर्घ्य (Give Arghya To The Moon like This)
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के दौरान आपको आटे का दीपक जलाना चाहिए और उसे छलनी के माध्यम से ढक देना चाहिए।
- इसके बाद करवा से चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
- आपको कलश में चांदी का सिक्का और चावल के दाने डालकर ही अर्घ्य देना चाहिए।
- अर्घ्य देने के दौरान ‘ऊँ सोमाय नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है।
- चंद्र देव को तांबे के लोटे में दूध और पानी मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है।
- अर्घ्य देने के दौरान आपका मुंह उत्तर दिशा की तरफ या फिर पूर्व दिशा की ओर होता है।
- चंद्र देवता को अर्घ्य देने के पश्चात पूजा की सभी सामग्री को आपको सही ढंग से रख देना होता है।
- अगर इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई दे तो चंद्रमा के उदय होने के टाइम पर आपको अर्घ्य देना चाहिए।
Conclusion:-karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri
इस पोस्ट में हमारे द्वारा आपको karwa chauth puja vidhi and samagri की जानकारी प्रदान की गई। अगर आपको पोस्ट की डिटेल्स अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें और अगर आप और भी बेहतरीन आर्टिकल कंटेंट पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट योजना दर्पण को विजिट करते रहें। यदि आर्टिकल के बारे में कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल करें। धन्यवाद।
FAQ‘s:-karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri
1. करवा चौथ क्या है?
उत्तर: करवा चौथ हिंदू विवाहित महिलाओं का प्रमुख त्यौहार है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद को देखकर, पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करना है।
2. करवा चौथ की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: करवा चौथ की पूजा विधि इस प्रकार है:
- सूर्योदय से पहले सरगी: व्रत रखने वाली महिला सूर्योदय से पहले ‘सरगी’ करती है, जो उसकी सास द्वारा दी जाती है। इसमें सूखे मेवे, फल, मिठाई और कुछ विशेष भोजन शामिल होता है।
- व्रत प्रारंभ: सूर्योदय के बाद महिलाएं व्रत की शुरुआत करती हैं, जिसमें दिन भर कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है।
- करवा चौथ की कथा: दोपहर में महिलाएं एकत्रित होती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं। यह कथा विशेष होती है और इसे सुनने से व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
- शाम की पूजा: शाम के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और करवा चौथ की पूजा करती हैं। इसमें मिट्टी के करवा, जल, फल, मिठाई और पूजा की अन्य सामग्री का उपयोग होता है। पूजा के समय चंद्रमा की आराधना की जाती है।
- चांद देखने के बाद व्रत तोड़ना: रात को चंद्रमा निकलने के बाद महिलाएं उसे छलनी से देखकर पूजा करती हैं और फिर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
3. करवा चौथ पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री क्या है?
उत्तर: करवा चौथ पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- करवा: मिट्टी का करवा (कलश)
- पानी से भरा कलश: जल अर्पित करने के लिए
- दीया: घी या तेल से जलाया गया दीपक
- रोली और चावल: तिलक और पूजा के लिए
- फूल और फल: पूजा के लिए
- मिठाई: प्रसाद के रूप में
- गेंहूं या चावल: पूजा की थाली में रखने के लिए
- छलनी: चांद देखने के लिए
- कपड़ा: सरगी और व्रत के दौरान पहनने के लिए
- सोलह श्रृंगार की सामग्री: विवाहित महिलाओं के लिए विशेष श्रृंगार
4. सरगी का क्या महत्व है?
उत्तर: सरगी एक विशेष भोजन होता है जो करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाया जाता है। यह भोजन व्रत करने वाली महिलाओं को उनकी सास द्वारा दिया जाता है, और इसमें फल, सूखे मेवे, मिठाई, और अन्य पौष्टिक चीज़ें होती हैं। सरगी का उद्देश्य पूरे दिन निर्जला व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है।
5. चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है?
उत्तर: करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद को छलनी से देखकर व्रत खोलती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि छलनी से देखने पर चंद्रमा की रोशनी शुद्ध होती है और इससे व्रत की पवित्रता बनी रहती है। इसके बाद महिलाएं अपने पति को भी छलनी से देखती हैं और फिर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
6. करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व क्या है?
उत्तर: सोलह श्रृंगार विवाहित महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसमें बिंदी, सिंदूर, चूड़ियाँ, मेंहदी, काजल, पायल, और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं शामिल होती हैं। यह श्रृंगार करवा चौथ के दिन विशेष रूप से किया जाता है ताकि पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना की जा सके।