करवा चौथ कब है 2024 (Karwa Chauth 2024): हिंदू धर्म में साल भर अनेक पवित्र त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जिनका विशेष महत्व होता है और जिनका श्रद्धालु पूरे वर्ष बेताबी से इंतजार करते हैं। इन्हीं में से एक है करवा चौथ, जो विशेष रूप से सुहागन महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बेहद कठोर माना जाता है। यह व्रत निर्जला होता है, यानी इसमें महिलाएं पूरा दिन बिना अन्न और जल के भगवान से अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
यह त्याग और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है, जो स्त्रियों की अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। इस दिन महिलाएं संपूर्ण श्रृंगार कर, विशेष रूप से चंद्रमा और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। जैसे ही रात को चंद्रमा का उदय होता है, महिलाएं चंद्र दर्शन कर अपने व्रत का पारण करती हैं।
2024 में करवा चौथ का यह पवित्र पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से उन सुहागन स्त्रियों के लिए बेहद मंगलकारी होता है, जो अपने पति के साथ दीर्घ और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
चलिए इस लेख में जानते है कि करवा चौथ व्रत का महत्व,शुभ मुहूर्त,व्रत कथा,पूजा विधि क्या है।
Overview Of Karwa Chauth 2024
आर्टिकल का नाम | करवा चौथ 2024 |
उद्देश्य | करवा चौथ की जानकारी प्रदान करना |
संबंधित धर्म | हिंदू धर्म |
संबंधित त्यौहार | करवा चौथ |
संबंधित तारीख | 20 अक्टूबर 2024 |
करवा चौथ कब है (Karwa Chauth 2024)
करवा चौथ, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और लोकप्रिय व्रतों में से एक है, जिसे 2024 में 20 अक्टूबर को बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस व्रत को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। विवाहित महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए विशेष रूप से रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत अत्यंत कठोर और पवित्र माना जाता है। यह निर्जला व्रत होता है, जिसमें महिलाएं दिनभर बिना अन्न और जल के भगवान से अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और तरक्की की प्रार्थना करती हैं।
करवा चौथ का व्रत ना केवल पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह उनके वैवाहिक जीवन की शक्ति और स्थिरता का भी प्रतीक है। व्रत की पूर्णता तब होती है जब रात्रि में चंद्रमा का उदय होता है। महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अपने पति के दर्शन करती हैं और फिर पति अपने हाथों से जल ग्रहण कराकर व्रत को संपन्न कराते हैं। इस पवित्र अनुष्ठान से पति-पत्नी के बीच का प्रेम और अटूट बंधन और भी मजबूत होता है, जो उन्हें जीवनभर एक-दूसरे के साथ खड़ा रहने की शक्ति प्रदान करता है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Shubh Muhurat)
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2024 को 06:46 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2024 को 04:16 बजे
- करवा चौथ व्रत समय – 06:25 से 19:54
- अवधि – 13 घण्टे 29 मिनट्स
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 17:46 से 19:02
- अवधि – 01 घण्टा 16 मिनट्स
- करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 19:54
करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
- करवा चौथ के दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर साफ पानी से स्नान कर लेना है।
- अब आपको अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करनी है साथ ही घर की भी साफ सफाई करनी है। विशेष तौर पर आपको रात के कार्यक्रम के लिए छत की सफाई कर लेनी है।
- सफाई करने के बाद आपको गंगाजल अपने ऊपर थोड़ा सा डाल लेना है और उसके बाद आपको सभी देवताओं की विधि विधान से पूजा करनी है।
- इसके बाद आपको करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लेना है।
- संकल्प लेने के दौरान आपकी जो मनोकामना है, उसे अवश्य ही बोलना है और व्रत शुरू कर देना है।
- शाम के समय में शुभ मुहूर्त में आपको करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ करना है।
- इसके बाद आपको चंद्र देव की पूजा करनी है।
- अब आपको चंद्र देव को अर्घ्य देना है।
- इसके बाद आपको अपने पति की सूरत छलनी के माध्यम से देखनी है और अपने पति की आरती उतारनी है।
- इसके बाद आपका पति अपने हाथों से आपको पानी पिलाएगा और इस प्रकार से व्रत का पारण पूरा होगा।
करवा चौथ व्रत सामग्री (Karwa Chauth Vrat Samagari)
मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन,
पान
सींक
कलश
अक्षत
चंदन
फल
पीली मिट्टी
फूल
हल्दी
लकड़ी का आसान
देसी घी
कच्चा
दूध
दही
शहद
शक्कर का बूरा
रोली
मौली
मिठाई
चलनी या छलनी आदि।
करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth 2024 Significance)
सुहागिन महिलाओं के द्वारा अपने पति की तरक्की के लिए और उनके अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ के दिन निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं करवा माता की पूजा करती है और उनकी कथा का पाठ करती हैं और उनकी आरती भी गाती हैं। करवा चौथ की रात को पति और पत्नी अपने घर की छत पर इकट्ठा होते हैं और वहां पर चंद्र देव की पूजा करने के साथ ही अपने पति के हाथों से जल पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। वही ऐसी लड़कियां जिनका विवाह तय हो गया है, वह भी अपने होने वाले पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाओं के द्वारा सोलह सिंगार किया जाता है तथा माता पार्वती, भगवान शंकर और करवा माता की पूजा करके उनसे अखंड सौभाग्य की कामना महिलाएं करती हैं।
करवा चौथ की कहानी (Karwa Chauth Story)
करवा चौथ से संबंधित कई कहानियां है। उनमें से एक कहानी के अनुसार तुंगभद्र नदी के पास करवा देवी अपने पति के साथ निवास करती थी। ऐसे में एक दिन जब करवा के पति नदी में नहाने के लिए गए तो मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया और उनका पैर पकड़ लिया और उसे नदी में खींचने का प्रयास किया। इस पर करवा के पति ने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और तभी करवा तेजी से नदी के पास पहुंची और अपने पति को मगर के चंगुल में फंसे हुए देखा। इसके बाद करवा ने तुरंत ही मगरमच्छ को कच्चे धागे के द्वारा एक पेड़ से बांध दिया। करवा एक पतिव्रता स्त्री थी। ऐसे में उसके कच्चे धागे को तोड़ पाना मगरमच्छ के बस की बात नहीं रही और इस तरह करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के ही प्राण के लाले पड़ गए।
इसके बाद करवा ने यमराज को अपने पति को जीवन दान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए पुकारा। यमराज ने कहा कि मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ के मरने की उम्र नहीं है और तुम्हारे पति की उम्र पूरी हो चुकी है। इस पर गुस्सा होकर करवा ने यमराज से कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी। करवा के इस वचन से यमराज भयभीत हो गए और उन्होंने तुरंत ही मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और दूसरी तरफ करवा के पति को जीवन दान दे दिया।
यही कारण है कि जो सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं, वह करवा माता से अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती है और उनसे कहती है कि जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से बचा लिया वैसे ही आप मेरे पति की रक्षा करना।
करवा चौथ के मंत्र (Karwa Chauth Mantra)
करवा चौथ के कुछ स्पेशल मंत्र इस प्रकार है।
पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः
शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय
स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः
श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः
चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः
करवा चौथ की आरती (Karwa Chauth Aarti)
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा चौथ में चांद की पूजा क्यों होती है (Moon worshipped on Karva Chauth)
ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा से ही अमृत की बरसात होती है जिसकी वजह से चंद्रमा की पूजा करने से विवाहित महिलाओं के पति पर भी अमृत की बरसात होती है। वही एक मान्यता यह भी है कि गणेश जी की गर्दन कटने के बाद जब उनका दिमाग चंद्रमा पर गिरा तो भगवान श्री गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि ने चंद्रमा में ही अपने पति को देखा और अपना व्रत तोड़ा। इसलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा होती है।
Conclusion:
Karwa Chauth 2024 के बारे में इस आर्टिकल में आपने जानकारी हासिल की। यदि कोई सवाल आप कंटेंट से संबंधित पूछना चाहते हैं तो आप अपना सवाल पूछ सकते हैं। इसके लिए नीचे कमेंट बॉक्स दिया गया है। हमारी साइट योजना दर्पण पर और भी कई आर्टिकल मौजूद है, जिन्हें आप पढ़कर अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आपका धन्यवाद।
FAQ‘s
1. करवा चौथ 2024 कब है?
करवा चौथ 2024 इस वर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है।
2. करवा चौथ का क्या महत्व है?
करवा चौथ का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए बहुत अधिक है। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात्रि को चंद्र दर्शन के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। इस व्रत का उद्देश्य पति की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि की कामना करना होता है।
3. करवा चौथ का व्रत कैसे रखा जाता है?
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से शुरू होता है, जो सास द्वारा बहू को दी जाती है। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं। शाम को कथा सुनने के बाद, महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
4. सरगी में क्या-क्या होता है?
सरगी में मुख्य रूप से फल, मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, और पानी शामिल होते हैं। इसके अलावा, कुछ परिवारों में परंपरागत पकवान भी शामिल किए जाते हैं। सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले किया जाता है, ताकि व्रत रखने के दौरान पूरे दिन ऊर्जा बनी रहे।
5. क्या करवा चौथ का व्रत सभी विवाहित महिलाएं रख सकती हैं?
हां, करवा चौथ का व्रत सभी विवाहित महिलाएं रख सकती हैं, चाहे वे किसी भी आयु वर्ग की हों। कुछ अविवाहित लड़कियां भी अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
6. करवा चौथ के व्रत में क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
करवा चौथ का व्रत रखते समय ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में पानी की कमी न हो। जिन महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। व्रत खोलने के बाद हल्का भोजन करना चाहिए और तुरंत भारी भोजन से बचना चाहिए।
7. करवा चौथ की पूजा सामग्री क्या होती है?
करवा चौथ की पूजा के लिए थाली, धूप, दीपक, रोली, चावल, फूल, मिठाई, करवा (मिट्टी का बर्तन), और जल से भरा एक लोटा आवश्यक होता है। इसके साथ ही एक छलनी और पूजा के लिए एक साफ वस्त्र का होना भी जरूरी है।
8. करवा चौथ की कथा क्या है?
करवा चौथ की कथा में वीरवती नाम की एक महिला की कहानी सुनाई जाती है, जिसने अपने पति की लंबी आयु के लिए कठोर तप किया था। इस कथा को सुनने से व्रत का फल प्राप्त होता है और पति की आयु लंबी होती है।
9. करवा चौथ व्रत में चांद का समय कैसे पता करें?
चांद का समय हर स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आप अपने शहर के अनुसार चांद निकलने का समय इंटरनेट, पंचांग या स्थानीय समाचार पत्रों में देख सकते हैं।
10. क्या करवा चौथ का व्रत बिना जल ग्रहण किए ही रखना चाहिए?
पारंपरिक रूप से करवा चौथ का व्रत निर्जला ही रखा जाता है, लेकिन अगर स्वास्थ्य संबंधित कोई समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह लेकर आप जल ग्रहण कर सकती हैं।