Ganesh Chaturthi। गणेश चतुर्थी 2024: Story of Ganesh, Sthapana, Vrat, Ganesh Utsav, Aarti

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गणेश चतुर्थी कब है, (Ganesh Chaturthi): – गणेश चतुर्थी भारत में प्रमुख तौर पर मनाया जाने वाला एक धार्मिक त्योहार है, जिसे अधिकतर हिंदू समुदाय के लोग सेलिब्रेट करते हैं। यह त्यौहार काफी अधिक समय से देश भर में मनाया जा रहा है। इस त्यौहार की एक अलग ही उमंग महाराष्ट्र जैसे राज्य में दिखाई पड़ती है। महाराष्ट्र में गणेश जी की बहुत सारी बड़ी-बड़ी मूर्तियां स्थापित होती है, जिनकी कीमत लाखों में होती है। तकरीबन 10 दिनों तक गणेश चतुर्थी का त्योहार देश में सेलिब्रेट किया जाता है। 

कई लोग गणेश जी की मूर्ति को 7 दिनों के बाद ही विसर्जित कर देते हैं और कई लोग 10 दिनों के बाद गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन पानी में करते हैं। यह एक ऐसा त्यौहार है जो विभिन्न जातियों के लोगों को एक जगह पर इकट्ठा होने का मौका प्रदान करता है। लोग गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश पंडाल में विराजमान गणपति जी से अपने जीवन के सभी दुखों को दूर होने की कामना करते हैं। चलिए आज इस पेज पर जानते हैं कि आखिर गणेश चतुर्थी कब है, गणेश स्थापना कैसे होती है, गणेश जी की आरती आदि के बारे में चर्चा करेंगे।

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Overview Of Ganesha Chaturthi Celebration

आर्टिकल का नामगणेश चतुर्थी 2024 सेलिब्रेशन
उद्देश्यगणेश चतुर्थी 2024 की जानकारी देना
संबंधित त्यौहारगणेश चतुर्थी
संबंधित देवताभगवान गणेश
भाषाहिंदी

गणेश जी की कहानी (Story of Ganesh)

विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश को बुद्धि का देवता कहा जाता है, परंतु उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है इसके बारे में शायद ही आपको पता होगा। चलिए इसके बारे में एक कहानी के माध्यम से जानते हैं। एक बार भगवान गणेश और उनके भाई कार्तिकेय के बीच यह शर्त लगी कि, सबसे पहले जो पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस कैलाश लौटेगा, उसे ही देवसेनापति माना जाएगा।

इसके बाद कार्तिकेय अपने मोर वाहन पर सवार होकर आगे चल दिए। वहीं गणेश जी का वाहन चूहा था जो कि ज्यादा तेज नहीं दौड़ सकता था। ऐसे में यहां पर गणेश जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और उन्होंने दूर जाने की जगह पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की ही परिक्रमा कर ली और शांति से कैलाश पर ही बैठे रहे।

जब कार्तिकेय वापस आए तब उन्होंने गणेश को अपने से पहले ही कैलाश पर्वत पर देखा। ऐसे में कार्तिकेय ने पूछा कि गणेश तुम प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुए क्या। इस पर गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही चारों धाम होते हैं। ऐसे में मैंने अपने माता-पिता की ही परिक्रमा कर ली। इस बात पर सभी देवताओं ने भी हामी भरी और इस प्रकार से इस प्रतियोगिता में गणेश जी विजेता बन गए।

परंतु कार्तिकेय को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसका विरोध किया। दोनों के बीच बढ़ते हुए विवाद का निपटारा करने के लिए दोनों भगवान ब्रह्मा के पास गए, जहां पर गणेश जी की बात को ही सही माना गया और इस प्रकार से आपने देखा कि किस प्रकार गणेश जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए कार्तिकेय से पहले ही परिक्रमा पूरी कर ली। इसलिए गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा जाता है।

गणेश स्थापना विधि (Ganesh Sthapana)

Ganesh Sthapana
  • गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की पूजा करने के लिए उनकी मूर्ति की स्थापना की जाती है, जो कि अधिकतर पीओपी की होती है या फिर मिट्टी की होती है। 
  • मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक साफ जगह का सेलेक्शन किया जाता है। 
  • जिनके घर में गणेश मंदिर है वह लोग अक्सर मंदिर की ही मूर्ति की पूजा करते हैं। 
  • साफ जगह का सिलेक्शन करने के बाद वहां पर मूर्ति स्थापित की जाती है। 
  • अक्सर गणेश जी की मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की ओर होता है। 
  • लोग गणेश जी के लिए अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत भी रखते हैं, ताकि उनकी मनोकामना गणेश भगवान जल्द से जल्द पूरी करें।

गणेश जी की आरती (Shri Ganesh ji ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

गणेश चतुर्थी व्रत (Ganesh Chaturthi Vrat)

Ganesh Chaturthi Vrat

गणेश चतुर्थी के मौके पर लोग भगवान श्री गणेश जी के नाम का उपवास रखते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो लगातार 10 दिनों तक उपवास करते हैं, तो कई लोग ऐसे हैं जो सिर्फ गणेश चतुर्थी की शुरुआत के पहले दिन और विसर्जन के दिन उपवास रखते हैं। उपवास के अंतर्गत दिनभर में सिर्फ चाय या फिर फल का ही सेवन किया जा सकता है। उपवास के दौरान लोग गणेश जी की पूजा करते हैं, उनकी आरती कहते हैं और उनके विशेष तांत्रिक या साबर मंत्रों का जाप करते हैं।

गणेश उत्सव (Ganesh Utsav)

Ganesh Utsav

गणेश चतुर्थी पर लोग अपने आसपास मौजूद पंडालो में स्थापित गणेश जी की मूर्ति के सामने जाते हैं और हाथ जोड़कर गणेश जी को प्रणाम करते हैं और मन ही मन उनकी जो भी मनोकामनाएं होती हैं, उसे पूरा करने की अरदास लगाते हैं। गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की मूर्तियों को बेहतरीन ढंग से सजाया जाता है और भोग के तौर पर उनके सामने विभिन्न प्रकार के व्यंजन रखे जाते हैं। भक्त भी अपनी तरफ से भगवान गणेश जी को फूल और प्रसाद अर्पित करते हैं और मूर्ति के सामने खड़े होकर ही मुंह से या फिर मन ही मन गणेश जी की आरती भी गाते हैं। इसके अलावा कई भक्त अपनी श्रद्धा भाव से पंडालो में स्थापित दान पेटी में दान भी करते हैं।

गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan)

Ganpati Visarjan

गणेश चतुर्थी का जो दसवां दिन होता है, इसी दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए अक्सर बहते हुए पानी का ही सिलेक्शन किया जाता है। अक्सर लोग बड़े तालाब में या फिर नहर में गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। मुंबई जैसे शहरों में मुंबई के समुद्र में गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।

प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाने के पहले आखरी बार गणेश जी की आरती की जाती है। इस दिन लोग डीजे की व्यवस्था करते हैं और नाचते गाते गणेश जी की मूर्ति को ट्रक या किसी वाहन पर लादकर विसर्जन स्थल पर ले जाते हैं। विसर्जन स्थल पर गणेश जी की एक बार फिर से आरती उतारी जाती है और उसके बाद इन्हें पानी में विसर्जित कर दिया जाता है और हांथ जोड़कर अगले साल फिर से बप्पा से विराजमान होने की कामना की जाती है।

Conclusion

गणेश चतुर्थी 2024 कब है, (Ganesh Chaturthi 2024) के बारे में आपने इस आर्टिकल में जान लिया। अगर इसके बावजूद भी आपके मन में अभी भी कोई शंका है, तो आप अपनी शंका से संबंधित सवाल नीचे जो कमेंट बॉक्स दिया हुआ है, उसमें पूछ सकते हैं। हमारी टीम आपके सभी क्वेश्चन का आंसर देने का प्रयास करेगी। हमारी वेबसाइट योजना दर्पण पर और भी बहुत सारे ऐसे आर्टिकल मौजूद है, जो आपकी जानकारी में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसलिए उन आर्टिकल को पढ़ना बिल्कुल भी ना भूले। धन्यवाद!

FAQ:

Q. गणेश चतुर्थी 2024 कब है?

Ans. गणेश चतुर्थी 2024 में सोमवार, 7 सितंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आती है।

Q. गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है?

Ans. गणेश चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में है। भगवान गणेश को ज्ञान, समृद्धि, और सौभाग्य का देवता माना जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और उन्हें मोदक, फूल, धूप, और दीप अर्पित कर उनकी पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन की गई पूजा से सारे विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Q. गणेश चतुर्थी की पूजा विधि क्या है?

Ans. गणेश चतुर्थी की पूजा विधि निम्नलिखित है:

  1. मूर्ति स्थापना: भगवान गणेश की मूर्ति को एक साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें।
  2. आवश्यक सामग्री: पूजा के लिए फूल, धूप, दीप, मोदक, फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण) और लाल कपड़ा रखें।
  3. पूजा की शुरुआत: पूजा की शुरुआत गणपति के मंत्रों और भजन से करें।
  4. अभिषेक और अर्चना: भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं और उनके ऊपर फूल, धूप, और चंदन अर्पित करें।
  5. आवश्यक प्रसाद: भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं, जो उनकी प्रिय मिठाई मानी जाती है।
  6. आरती और मंत्रोच्चार: पूजा का समापन भगवान गणेश की आरती और मंत्रोच्चार के साथ करें।

Q. क्या गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखना चाहिए?

Ans. गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। भक्तगण फलाहार व्रत रख सकते हैं, जिसमें फल, दूध, और सूखे मेवे का सेवन किया जाता है। यह व्रत भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है।

Q. गणेश विसर्जन कब होता है?

Ans. गणेश विसर्जन गणेश चतुर्थी के 10वें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहते हैं, मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं, जिससे यह प्रतीक होता है कि भगवान गणेश हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शुभता का आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक को जा रहे हैं।

Q. क्या घर पर गणेश चतुर्थी की पूजा की जा सकती है?

Ans. हां, गणेश चतुर्थी की पूजा घर पर भी की जा सकती है। इसके लिए आपको भगवान गणेश की मूर्ति, पूजा की सामग्री और विधि का पालन करना होता है। आप किसी पुजारी को बुलाकर भी पूजा करा सकते हैं, या स्वयं ही श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा कर सकते हैं।

Q. गणेश चतुर्थी के दिन कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए?

Ans. गणेश चतुर्थी के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:

  • ॐ गं गणपतये नमः
  • ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
  • ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

Q. गणेश चतुर्थी के दौरान क्या न करें?

  • किसी भी प्रकार का मांस या शराब का सेवन न करें।
  • पूजा के दौरान मन और वातावरण को शुद्ध और पवित्र रखें।
  • गुस्से, नकारात्मक विचारों और दुर्व्यवहार से बचें।

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