राष्ट्रीय एकता दिवस 2024 । Rashtriya Ekta Diwas | National Unity Day : भारत में, हम कई धार्मिक त्योहार मनाते हैं, जो विभिन्न धर्मों के लोगों को एक साथ लाते हैं। चाहे वह गणेश उत्सव, नवरात्रि, ईद, क्रिसमस, नवरोज़ या लोहड़ी हो, ये सभी पर्व भारत की विविधता में एकता को दर्शाते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए, त्योहारों में भाग लेते हैं, भोजन साझा करते हैं, और पूजा स्थलों पर जाते हैं। यह सद्भाव और सहयोग का प्रतीक है, जो भारतीय समाज की खासियत है।
इस एकता का आधार सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण के रूप में देखा जा सकता है। Rashtriya Ekta Diwas स्वतंत्रता के समय, भारत 562 रियासतों में विभाजित था। सरदार पटेल की कूटनीति और प्रयासों ने इन राज्यों को एकजुट किया और आधुनिक भारत की नींव रखी। उनके इस योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस सरदार पटेल की जयंती का प्रतीक है, जो राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति और एकीकरण के मूल्यों को प्रोत्साहित करता है। यह दिन न केवल उनके योगदान की याद दिलाता है, बल्कि हमें विविधता में एकता के महत्व को भी सिखाता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है? राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य क्या है? राष्ट्रीय एकता दिवस का इतिहास और साल 2024 में राष्ट्रीय एकता दिवस का थीम क्या होगा? सब कुछ सिर्फ एक ही लेख में, तो चलिए चर्चा शुरू करते हैं।
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राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है (Rashtriya Ekta Diwas kab Manaya Jata Hai)
राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल को भारतीय एकता के निर्माता के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने भारत की 562 रियासतों को एकजुट कर एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया। राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों में एकता, अखंडता और बंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करना है। इस दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें रन फॉर यूनिटी (एकता दौड़), संगोष्ठी, भाषण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। सरकारी संस्थान, शैक्षिक संस्थान और समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
सरदार पटेल ने देश की स्वतंत्रता के बाद विभिन्न रियासतों को भारत में शामिल करने के लिए अथक प्रयास किए थे। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता के कारण ही आज का भारत एक एकीकृत राष्ट्र है। इसलिए, उन्हें ‘लौह पुरुष’ के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर देश के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी देशभक्ति और योगदान को याद करते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवा पीढ़ी में देश की एकता और अखंडता के प्रति जागरूकता फैलाना है ताकि वे सरदार पटेल के आदर्शों पर चल सकें और देश को और भी मजबूत और एकजुट बना सकें। इस तरह, 31 अक्टूबर का दिन भारतीय एकता और अखंडता का प्रतीक बन चुका है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हमारी विविधता में ही हमारी ताकत है।
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राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है । (Rashtriya Ekta Diwas kyun Manaya Jata Hai)
राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन हर साल 31 अक्टूबर को किया जाता है, यह दिन एकता, अखंडता और सामंजस्य को बनाए रखते हुए राष्ट्र की ताकत और लचीलापन को प्रदर्शित करता है। सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है, ने ब्रिटिश उपनिवेशी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद सभी 565 स्वशासित रियासतों को भारत में विलय करने के लिए सफलतापूर्वक राजी किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और कूटनीति के कारण ही एकजुट भारत की कल्पना साकार हो सकी।
सरदार पटेल के असाधारण योगदान को मान्यता देने के लिए, भारत सरकार ने नर्मदा नदी के किनारे गुजरात में एक अद्वितीय स्मारक का निर्माण कराया है। यह स्मारक, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के नाम से जाना जाता है, और इसकी ऊँचाई 182 मीटर है, जो इसे दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा बनाती है। इसे विश्व का आठवाँ अजूबा माना जाता है। इस प्रतिमा का डिज़ाइन प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार राम वी. सुतार ने किया है।
2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर राष्ट्रीय एकता दिवस की शपथ दिलाई, जिसमें देश की विभिन्न पुलिस टुकड़ियों ने पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए परेड का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल पटेल के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व को भी रेखांकित करता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर, सरकार सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार का आयोजन करती है, जिसमें व्यक्तियों और संगठनों के उन बहुमूल्य योगदानों को मान्यता दी जाती है जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में भी इस दिन के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्रों द्वारा निबंध, नृत्य, नाटक और अन्य गतिविधियाँ प्रस्तुत की जाती हैं।
सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को हुआ। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए और भारतीय एकता को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अद्भुत दृष्टि और नेतृत्व कौशल को हमेशा याद किया जाएगा, और राष्ट्रीय एकता दिवस उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक अवसर है।
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राष्ट्रीय एकता दिवस का इतिहास। (Rashtriya Ekta Diwas History)
सरदार वल्लभभाई पटेल को “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और भारत के एकीकरण में उनकी भूमिका अद्वितीय थी। स्वतंत्रता के समय, भारत 562 से अधिक रियासतों में बँटा हुआ था, जिनका अपना-अपना शासक था। सरदार पटेल ने इन रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने का कठिन कार्य अपने कंधों पर लिया।
पटेल ने अपनी दूरदर्शिता और प्रभावी कूटनीति के माध्यम से इन राज्यों के शासकों को भारत में विलय करने के लिए राजी किया। उनका यह प्रयास भारत के एकीकरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। रियासतों को एक साथ लाकर उन्होंने एक सशक्त और एकीकृत भारत का निर्माण किया, जो आज हम देखते हैं। उनकी इस अद्वितीय भूमिका और मजबूत नेतृत्व के कारण उन्हें “लौह पुरुष” की उपाधि दी गई।
पटेल की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। उनके योगदान को मान्यता देते हुए, भारत सरकार ने 31 अक्टूबर, 2014 को उनके जन्मदिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में घोषित किया। इस दिन को हर साल पूरे देश में सरदार पटेल के अद्वितीय योगदान और उनके द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए किए गए प्रयासों को याद करने के लिए मनाया जाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत आज भी हमारे दिलों में जीवित है, और उनका योगदान भारत के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उनके अथक प्रयासों के बिना, आज का एकीकृत भारत संभव नहीं होता।
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राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व | (Rashtriya Ekta Diwas Significance)
राष्ट्रीय एकता दिवस हमारे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमारे राष्ट्र की अंतर्निहित शक्ति और लचीलेपन की पुष्टि करता है। सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए, भारत सरकार ने गुजरात के नर्मदा नदी के किनारे सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा का निर्माण किया है, जो भारतीय एकता के प्रतीक के रूप में खड़ी है।
इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य देश की एकता को बढ़ावा देना और सरदार पटेल के ऐतिहासिक योगदान के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है। सरदार पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों को एकजुट करने में अहम योगदान दिया। उनकी कूटनीति और दृढ़ संकल्प ने देश को एक साझा पहचान दी।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर, विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें शपथ ग्रहण समारोह, दौड़ और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं। यह गतिविधियाँ न केवल लोगों में एकता का भाव जगाती हैं, बल्कि सरदार पटेल के आदर्शों को भी जीवित रखती हैं। इस दिन, विद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों को एकता और भाईचारे का महत्व समझाया जाता है, ताकि वे आगे चलकर देश की एकता को बनाए रखने में योगदान कर सकें।
इस प्रकार, राष्ट्रीय एकता दिवस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो हमें एकजुट रहने की प्रेरणा देता है और हमारे देश की विविधता में एकता के मूल्य को रेखांकित करता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस थीम 2024। (National Unity Day Theme 2024)
2024 के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस की थीम की अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। यह दिन 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्हें “भारत के लौह पुरुष” कहा जाता है। पटेल ने देश की आजादी के बाद भारत को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम होते हैं, जैसे एकता दौड़ (रन फॉर यूनिटी), शपथ ग्रहण समारोह, सांस्कृतिक आयोजन, और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को प्रोत्साहित करने वाले शैक्षिक कार्यक्रम।
राष्ट्रीय एकता दिवस कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन भारत सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व को समझाया जा सके। सुबह के समय नई दिल्ली के पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, जो इस अवसर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस दिन को मनाने के लिए कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें से एक प्रमुख कार्यक्रम है “रन फॉर यूनिटी,” जो भारत के विभिन्न शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है। इस दौड़ में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भाग लेते हैं। विशेष रूप से दिल्ली में यह दौड़ राजपथ पर विजय चौक से इंडिया गेट तक होती है, जहाँ बड़े पैमाने पर लोग एकजुट होकर दौड़ते हैं।
इसके अलावा, सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्रों और संस्थानों में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाता है। नगर निगमों के कर्मचारी और अन्य अधिकारी राष्ट्रीय एकता की शपथ लेते हैं और एक-दूसरे को इस दिन की शुभकामनाएँ देते हैं। इसके बाद, वे एकता के प्रतीक के रूप में दौड़ लगाते हैं, जो सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।
पुलिस द्वारा आयोजित मार्च पास्ट भी इस दिन का एक अहम हिस्सा होता है, जिसमें स्काउट, गाइड, एनसीसी और एनएसएस के सदस्य शामिल होते हैं। यह मार्च विभिन्न प्रमुख शहरों और जिला कस्बों में आयोजित किया जाता है, जिससे राष्ट्रीय एकता का संदेश हर कोने तक पहुंचता है।
स्कूलों और कॉलेजों में भी इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है। छात्र विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, जैसे कि पोस्टर बनाना, निबंध लेखन, भाषण देना, क्विज़ प्रतियोगिताएँ, पेंटिंग और कला-निर्माण प्रतियोगिताएँ। इन गतिविधियों के माध्यम से छात्र एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं, जिससे समाज में सामंजस्य बढ़ता है।
31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य भारत के लोगों में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना और देश की एकता और सुरक्षा को बनाए रखना है। यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को याद करने के साथ-साथ एकजुटता के प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में तथ्य । (Facts About Sardar Vallabhbhai Patel)
- सरदार वल्लभभाई पटेल, जो भारत के पहले गृह मंत्री और पहले उप प्रधानमंत्री थे, उनका 75 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्हें आमतौर पर “भारत के लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है।
- उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। 5 जनवरी 1917 को, वे पहली बार अहमदाबाद नगरपालिका के पार्षद बने। बाद में, 1924 में, उन्हें अहमदाबाद नगरपालिका का अध्यक्ष चुना गया।
- उन्होंने भारतीय संघ में कई रियासतों को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता के समय, पटेल ने कई रियासतों को भारतीय संघ में शामिल होने के लिए सफलतापूर्वक मनाया।
- 1931 के कांग्रेस सत्र के लिए, गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे और गुजरात सभा (कांग्रेस की गुजरात शाखा) के सचिव और कराची में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष भी रहे।
- बारडोली की महिलाओं ने उन्हें “सरदार” की उपाधि से नवाजा, जो उनके सम्मान और नेतृत्व को दर्शाता है।
- उन्हें भारत के विभिन्न रियासतों के एकीकरण के प्रति उनके दृढ़ दृष्टिकोण, महिला सशक्तिकरण के प्रति उनके समर्थन, और भारत को एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र बनाने में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका के लिए याद किया जाता है।
- उनकी स्मृति में, गुजरात के नर्मदा जिले में 2018 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया गया, जो उनकी विरासत को सम्मानित करता है।
Conclusion:-Rashtriya Ekta Diwas
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FAQ’s:-Rashtriya Ekta Diwas
राष्ट्रीय एकता दिवस क्या है?
राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में देश की एकता और अखंडता के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके योगदान को सम्मानित करना है, जिनकी कोशिशों से भारत एक संयुक्त राष्ट्र बना।
राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय एकता दिवस भारत की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों की याद में मनाया जाता है। उन्होंने 500 से अधिक रियासतों को एकजुट कर भारत को एक राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल कौन थे?
सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बने। उन्हें “लौह पुरुष” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने देश को एकजुट करने के लिए निर्णायक और कठोर कदम उठाए।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर कौन-कौन से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं?
राष्ट्रीय एकता दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें “रन फॉर यूनिटी” (एकता दौड़), भाषण, संगोष्ठियां, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभर में सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा एकता और अखंडता पर आधारित गतिविधियाँ शामिल हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व क्या है?
यह दिन हमारे देश की विविधता में एकता के महत्व को दर्शाता है। सरदार पटेल ने भारत की स्वतंत्रता के बाद विभिन्न रियासतों को एकजुट कर देश को मजबूत और स्थिर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह दिवस राष्ट्र को एक साथ लाने और एकता के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस कैसे मनाएं?
राष्ट्रीय एकता दिवस पर आप “रन फॉर यूनिटी” में भाग ले सकते हैं, सरदार पटेल के योगदान के बारे में जान सकते हैं और दूसरों को भी उनकी जीवन यात्रा से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसके अलावा, आप सोशल मीडिया के जरिए एकता का संदेश फैला सकते हैं और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर सकते हैं।