Dayananda Saraswati Jayanti : कब और क्यों मनाई जाती है स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती? जाने इसका महत्व, इतिहास

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Dayananda Saraswati Jayanti : स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती प्रत्येक साल भारत में 5 मार्च को मनाई जाती है। स्वामी दयानंद पशु बलि, जाति व्यवस्था, बाल विवाह और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे। दयानंद ने मूर्ति पूजा और तीर्थयात्राओं की भी निंदा की। उन्होंने अपने जीवनकाल में 60 से अधिक रचनाएँ लिखीं, जिनमें सत्यार्थ प्रकाश, जिसका अर्थ है सत्य का प्रकाश, सबसे लोकप्रिय रही। यह पुस्तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम का भी अभिन्न अंग बन गयी। दयानंद सरस्वती एक समाज सुधारक भी थे।  उन्होंने समाज में कई प्रकार के सुधार किए थे।  दयानंद सरस्वती हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत है उनके द्वारा लिखे गए किताबें और उनके विचार को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे तो आपको सफलता जीवन में जरूर मिलेगी |

इसलिए आज के आर्टिकल में Dayananda Saraswati Jayanti से जुड़ी सभी जानकारी जैसे- Who is Dayananda Saraswati) | When is  Dayananda Saraswati Jayanti | Why  Dayananda Saraswati Jayanti is Celebrated | Dayananda Saraswati Jayanti history ) Dayananda Saraswati Jayanti objectives ) Dayananda Saraswati Jayanti celebration ) Dayananda Saraswati Jayanti theme 2024 ) Dayananda Saraswati Jayanti Quotes) Dayananda Saraswati Jayanti posters के बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी सहज और आसान भाषा में उपलब्ध करवाएंगे हमारा आर्टिकल आप ध्यान पूर्वक आखिर तक पढ़िएगा आईए जानते हैं-

Dayananda Saraswati Jayanti – Overview 

नामदयानंद सरस्वती (दयानंद सरस्वती)
वास्तविक नाममूल शंकर
जन्म की तारीख12 फरवरी 1824
जन्म स्थानमोरबी, गुजरात (भारत)
मृत्यु तिथि30 अक्टूबर 1883
पिता माता का नामयशोदाबाई/करशनजी लालजी तिवारी
उपलब्धि1875 – आर्य समाज के संस्थापक
पेशा/देशपुरुष/दार्शनिक/भारत

कौन है दयानंद सरस्वती (Who is Dayananda Saraswati)

बाल विवाह, जाति व्यवस्था, पशु बलि और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव सहित सामाजिक समस्याओं के खिलाफ बोलने वाले सबसे शुरुआती व्यक्तियों में से एक स्वामी दयानंद थे। दयानन्द ने तीर्थयात्राओं और मूर्ति पूजा को भी अस्वीकार कर दिया। उनके जीवन का कार्य वैदिक मान्यताओं को पुनर्जीवित करना था क्योंकि वे इस बात पर अड़े थे कि हिंदू धर्म अपने मूल मूल्यों से भटक गया है। आर्य समाज स्वामी दयानंद द्वारा स्थापित एक एकेश्वरवादी भारतीय हिंदू सुधार संगठन है जो नैतिक सिद्धांतों और प्रथाओं  प्रसार दुनिया में वेदों के माध्यम से होता है। 

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कब है दयानंद सरस्वती जयंती ( When is Dayananda Saraswati Jayanti 

2024 में दयानंद सरस्वती 5 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन कई प्रकार के कार्यक्रम देश भर में आयोजित होंगे  जहां पर लोगों को दयानंद सरस्वती के जीवन के बारे में जानकारी दी जाएगी ताकि हर एक व्यक्ति उनके जीवन के बारे में जानकर उनसे प्रेरणा ले सके तो उन्होंने किस प्रकार समाज के भलाई और हित के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती भारत में एक वैकल्पिक सार्वजनिक अवकाश है। इसलिए, देश भर के कार्यालय, सार्वजनिक, निजी या सरकारी, स्कूल, शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज और विश्वविद्यालय, इस शुभ दिन पर खुले और पूरी तरह  संचालित किए जाते हैं।

दयानंद सरस्वती जयंती क्या मनाया जाता है ( Why Dayananda Saraswati Jayanti is Celebrated )

12 फरवरी 1824 को जन्मे महर्षि दयानंद सरस्वती एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी उन्होंने मूर्ति पूजा का पुरजोर विरोध किया था इसके अलावा उसे समय समाज में कई प्रकार के सामाजिक विषमताई थी जिसे उन्होंने कड़ा विरोध भी किया था। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा के माध्यम से देश की संस्कृति और सामाजिक जागृति में अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी इसके अलावा दयानंद सरस्वती का मानना था कि समाज में शिक्षा का प्रचार होना आवश्यक है तभी जाकर व्यक्ति अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों का पुरजोर तरीके से विरोध कर पाएगा 

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती का इतिहास ( Dayananda Saraswati Jayanti History )

महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म मूल शंकर तिवारी के रूप में एक प्रभावशाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में करशनजी लालजी कपाड़ी और यशोदाबाई के घर हुआ था। उनका नाम मूल शंकर तिवारी रखा गया क्योंकि वैदिक ज्योतिष के अनुसार उनका जन्म धनु राशि और मूल नक्षत्र में हुआ था ।बचपन से ही तपस्या में लिप्त रहने के कारण, उन्होंने जीवन के बारे में गहरा अर्थ प्राप्त करने और इसके वास्तविक सार को खोजने की कोशिश में 25 वर्ष बिताए। उन्हें वर्ष 1875 में “आर्य समाज” के संस्थापक के रूप में नामित किया गया था, जिसका आदर्श वाक्य था: “सभी कार्यों को मानव जाति के लाभ के मुख्य उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए।”उन्हें 60 से अधिक  रचनाएं लिखिए इसलिए उनकी पहचान लेखक के रूप में किया जाता है, जिन्हें विश्व स्तर पर आदर्श माना जाता हैं।  उनके कुछ प्रमुख कार्यों में संस्कारविधि, सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, सत्यार्थ भूमिका, यजुर्वेद भाष्यम् और ऋग्वेद भाष्यम् (7/6 ) इत्यादि

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स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती का महत्व ( Dayananda Saraswati Jayanti Significance )

 महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती पूरी दुनिया में मनाई जाती है, इस दिन को मनाने और भिक्षु को अंतिम सम्मान देने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक पवित्र शहर ऋषिकेश है। स्वामी दयानंद पशु बलि, जाति व्यवस्था, बाल विवाह और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे। इस दिन उनके भक्त उनके उपदेशों, सिद्धांतों और उनके अच्छे कार्यों को याद करते हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती हर साल उस महान हिंदू भिक्षु की याद में मनाई जाती है, जिनके समाज में योगदान का आज तक अनुसरण किया जाता है। 

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती के उद्देश्य ( Dayananda Saraswati Jayanti Objectives ) 

महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती का उद्देश्य है  उनके जीवन और कार्य को याद करना इसके अलावा दयानंद सरस्वती के विचारों और शिक्षाओं को पूरी दुनिया में प्रसारित करने के उद्देश्य से ही देना सरस्वती जयंती प्रत्येक साल एक निश्चित तारीख को मनाई जाती है इस दौरान देशभर में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें महर्षि सम्मेलन और कार्यशालाएं महत्वपूर्ण हैं।  उनके जीवन और कार्यों पर कई प्रकार के प्रदर्शनी का भी आयोजन होता हैं। जहां पर उनके जीवन के बारे में पूरी जानकारी लोगों को उपलब्ध करवाई जाती हैं। दयानंद सरस्वती जयंती के दिन उनके विचारों और शिक्षाओं पर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी होता है ताकि उनकी विचारधारा समाज के सभी वर्गों तक पहुंच सके।

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती समारोह ( Dayananda Saraswati Jayanti Celebration )

महर्षि दयानंद सरस्वती के दिन उनके उपदेशों को याद करके उनका सम्मान किया जाता है और मानव जाति को उनके दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास किया जाता है। चूँकि वह एक महान व्यक्ति और महान विद्वान थे, इसलिए समाज में उनके योगदान को याद किया जाता है। इसके अलावा कई स्कूल और शैक्षणिक संस्थान उनकी किसी विचारधारा पर आधारित विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं। शांति, समानता और भाईचारे का उनका संदेश उनके भक्तों द्वारा फैलाया जाता है। दयानंद सरस्वती के द्वारा  आर्य समाज की स्थापना की गई है ऐसे में दयानंद सरस्वती जयंती के दिन आर्य समाज में कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। 

दयानंद सरस्वती जयंती थीम 2024 ( Dayananda Saraswati Jayanti theme 2024 )

प्रत्येक साल सरस्वती जयंती एक विशेष थीम के अनुसार मनाया जाता हैं।  2024 में दयानंद सरस्वती थीम के संबंध में अभी तक कोई जानकारी घोषित नहीं की गई है जैसे ही कोई जानकारी आती है हम आपको अपडेट करेंगे |

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स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती कोट्स ( Dayananda Saraswati Jayanti Quotes )

  • अज्ञानी होना गलत नहीं है; अज्ञानी बने रहना गलत है।
  • सेवा का उच्चतम रूप एक ऐसे व्यक्ति की मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है.
  • सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो 
  • लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए, मानसिक अंधकार का प्रसार मूर्तिपूजा के प्रचलन के कारण है।
  • हमें पता होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है थोपा नहीं जा सकता और ऐसी कोई कृपा नहीं हैं। 
  • नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना, वो आपको सही मायने में विजेता बनाता हैं।
  • भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है, वह अविनाशी और अपार है, जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है।

दयानंद सरस्वती जयंती के पोस्टर (Dayananda Saraswati Jayanti Posters )

दयानंद सरस्वती जयंती के poster  अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं  तो आर्टिकल में हम आपके बेहतरीन Saraswati Jayanti posters उपलब्ध करवाएंगे जिसे आप चाहे तो डाउनलोड भी कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया पर कर कर आप दयानंद सरस्वती की शुभकामनाएं अपने दोस्तों या परिवार वालों को दे सकते हैं।

Conclusion: 

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में आकर पूछे उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में 

FAQ’s:

Q. महर्षि दयानद सरस्वती का जन्म कब हुआ था?

Ans.महर्षि दयानद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को टंकारा, गुजरात में हुआ था।  

Q. आर्य समाज की स्थापना कब हुई?

Ans.आर्य समाज की स्थापना 7 अप्रैल 1875 को महर्षि दयानद सरस्वती ने की थी। 

Q.क्या महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती पर भारत में सार्वजनिक अवकाश है?

Ans.भारत में, सरस्वती जयंती और महर्षि दयानंद वैकल्पिक सार्वजनिक अवकाश हैं। इसलिए, इस शुभ दिन पर, देश भर के कार्यालय – सार्वजनिक, वाणिज्यिक या सरकारी – स्कूल, शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज और विश्वविद्यालय खुले और पूरी तरह से चालू रहते हैं। 

Q. महर्षि दयानंद सरस्वती की हत्या किसने की?

Ans महर्षि दयानंद सरस्वती की हत्या के पीछे जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह द्वितीय का हाथ था।

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